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  • मुझे हिन्दुस्तान में उस सरकार का इंतजार है जो राष्ट्रवादी लेखक प्रेमचन्द की शब्दों में बिगाड़ के डर से ईमान की बात कहना न छोड़े! जो फुले के जीवन चरित्र पर एक श्वेत पत्र जारी करे! ताकी देश को वह जख्म मालूम‌ चले जो‌ उन्होने चंद विदेशी सिक्कों की एवज में समाज को शिक्षा देने के ढोंग के नाम पर दिया।
    एक बहुत बड़े बुद्धिजीवी मित्र है, वरिष्ठ हैं! मैं भैया कहता हूँ! एक बार फुले प्रंसग पर उनसे बात हो रही थी! उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ सत्य बोलने से एक बहुत बड़ा वर्ग नाराज हो जाएगा! इसलिए पहले संघ और बाद में भाजपा ने भी उनको अंगीकार कर लिया !
    मैंने पुछा कि भैया फिर धर्म .. ? वे स्तब्ध थे! मेरा अगला प्रश्न था कि भैया तब कुछ दिन बात देश का हिन्दू जेवियर को भी संत मानने लगेगा! उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद क्या अभी ही लोग मानने लगे हैं!
    सनद रहे कि गलत और अधर्म हर काल और परिस्थिति में गलत और अधर्म ही होता है।

    #मेरीचौपाल
    मुझे हिन्दुस्तान में उस सरकार का इंतजार है जो राष्ट्रवादी लेखक प्रेमचन्द की शब्दों में बिगाड़ के डर से ईमान की बात कहना न छोड़े! जो फुले के जीवन चरित्र पर एक श्वेत पत्र जारी करे! ताकी देश को वह जख्म मालूम‌ चले जो‌ उन्होने चंद विदेशी सिक्कों की एवज में समाज को शिक्षा देने के ढोंग के नाम पर दिया। एक बहुत बड़े बुद्धिजीवी मित्र है, वरिष्ठ हैं! मैं भैया कहता हूँ! एक बार फुले प्रंसग पर उनसे बात हो रही थी! उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ सत्य बोलने से एक बहुत बड़ा वर्ग नाराज हो जाएगा! इसलिए पहले संघ और बाद में भाजपा ने भी उनको अंगीकार कर लिया ! मैंने पुछा कि भैया फिर धर्म .. ? वे स्तब्ध थे! मेरा अगला प्रश्न था कि भैया तब कुछ दिन बात देश का हिन्दू जेवियर को भी संत मानने लगेगा! उन्होंने कहा कि कुछ दिन बाद क्या अभी ही लोग मानने लगे हैं! सनद रहे कि गलत और अधर्म हर काल और परिस्थिति में गलत और अधर्म ही होता है। #मेरीचौपाल
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  • पिता के सपनों के आसमान में उसके अपने लिए ही कोई जगह नही होती है।
    पिता के सपनों के आसमान में उसके अपने लिए ही कोई जगह नही होती है।
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  • हिन्दी पट्टी में अपने जाति के गुण्डों,लफंगो पर सबको गर्व और गौरव है! नफरत सिर्फ दिखावटी है।
    वैसे यह भी सत्य ही है कि राजनीति और अपराध एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
    #मेरीचौपाल
    हिन्दी पट्टी में अपने जाति के गुण्डों,लफंगो पर सबको गर्व और गौरव है! नफरत सिर्फ दिखावटी है। वैसे यह भी सत्य ही है कि राजनीति और अपराध एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। #मेरीचौपाल
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  • 5G मोबाइल और इंटेल 13th जनरेशन वाली पीढ़ी ना तो कौवे का उचरना जानती है और नाही वह चिट्ठी में लिपटी हुई चिंता और वेदना को समझ सकती है। इसके साथ ही अभी तक वह, यह समझने में असमर्थ है कि पुरानी पीढ़ी जब नयी पीढ़ी को अपनी संस्कृति और संस्कार सौपती है और नयी पीढ़ी उसको यथावत ग्रहण करती है तब पुरानी पीढ़ी को अपनी खिलखिलाहट और प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए शब्द नही सुझते हैं। उसे एहसास होता है कि उसने अपना दायित्व सफलता पूर्वक निर्वहन कर दिया है।
    संसार में वह सिर्फ माँ ही होती हैं जिस से बिना किसी झिझक के आप अपने मन की बात कह सकते हैं। माँ का स्वरूप कविता और कहानी से परे होता हैं। आज से बिहार का लोकपर्व जो अब ग्लोबल हो चुका हैं, छठ शुरु हो रहा हैं। चार दिन चलने वाला यह सूर्य और छठी माई (षष्ठी देवी चाहे देवी कात्यायनी) के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं।श्रद्धा का भाव ऐसा कि जो मन में हेतु होगा, माता रानी और सूर्य भगवान उसको साकार कर देंगे।
    सूर्य हमारे सनातन देवता हैं। हमारे यहाँ माना गया है कि सूर्य कि उपासना त्वरित फलदायी होती हैं।सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं।सूर्य सारे जगत के ऊर्जा के स्त्रोत हैं।हर युग में सूर्य ने अपनी शक्ति और सामर्थ्य का एहसास दुनिया को‌ कराया हैं।जब विज्ञान नही था और विज्ञान कि आड़ में धर्म को नकारने वाले गदहों कि फौज का जब अस्तित्व नही था उस कालखण्ड में हमारे यहा ऋग्वेद में बताया गया है कि "शकमयं धूमम् आराद् अपश्यम्, विषुवता पर एनावरेण" यानी सूर्य के चारों और दूर-दूर तक शक्तिशाली गैस फैली हुई हैं। सूर्य और ग्रहों कि गणना का हिसाब हमारे यहाँ पुरातन है और यह हम‌ सबको अपने इतिहास पर गौरवपूर्ण बोध कराने के लिए काफी हैं।
    वामपंथीयों ने पिछली कुछ सालों से एक अलग किश्म का रायता छठ को लेकर फैलाने का दुस्साहसी प्रयास शुरु किया हैं। उन्होंने यह कहना शुरु किया छठ में कोई कर्म कांड नही होता हैं।छठ प्रकृति का पर्व हैं। उन अक्ल के अंधो को उपनिषद पढ़ने कि सलाह देनी चाहिए। कुपढ़ो और जाहिलों को इग्नोर नही करना हैं उनका सामना करना है और अपने तर्क से उनके कुतर्क और कुकर्म को धराशायी करना हैं।
    छठ के लोक गीत कान से उतरकर सीधे दिल में पहुँच बनाते हैं।सनातन पूजा-पाठ में पवित्रता और प्रकृति से जुड़ाव यह दर्शाता है कि हमलोग सत्य के कितने करीब हैं।पलायन कि शिकार पुर्वांचल की युवा पीढ़ी हो चाहे उनका परिवार छठ का शब्द चाहे उसके गीत जैसे ही उनको सुनाई देते हैं उनको उनका गाँव याद आता हैं। गाँव के घाट याद आते हैं और साथ में याद आता है छठ के घाटों पर सामाजिक समरसता का वह अतिमनोरम दृश्य जो यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि वामपंथीयों को गाँवों को तोड़ने में सफलता कभी हासिल नही होगी।
    इधर कुछ सालों में विधर्मी लोगों ने दउरा, छइटा, सुपली, सूप और झाड़ू का कारोबार शुरु किया हैं। इनसे हर हाल में बचना हैं। सही मायनो में लोकल‌ फाॅर वोकल तभी सफल‌ है जब उसका लाभ अपने लोगों को मिले। मैंने ऐसे कुछ लोगों को देखा है कि वे बेशक पैसों के लालच में आज बौद्ध चुके हैं परन्तु उनकी माता पिता का आज भी सनातन में आस्था बरकरार हैं।यह सनातन की ताकत हैं।लोभ लालच में विधर्मी बने लोगों को भी यहाँ कि याद सताते रहती हैं।
    आप‌ सभी सम्मानित मित्रों को आज से चार दिनों तक चलने वाले पावन महापर्व छठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। छठी माता और सूर्य भगवान सबके मनोरथ को पूर्ण करने में सहायक बने।
    #मेरीचौपाल
    5G मोबाइल और इंटेल 13th जनरेशन वाली पीढ़ी ना तो कौवे का उचरना जानती है और नाही वह चिट्ठी में लिपटी हुई चिंता और वेदना को समझ सकती है। इसके साथ ही अभी तक वह, यह समझने में असमर्थ है कि पुरानी पीढ़ी जब नयी पीढ़ी को अपनी संस्कृति और संस्कार सौपती है और नयी पीढ़ी उसको यथावत ग्रहण करती है तब पुरानी पीढ़ी को अपनी खिलखिलाहट और प्रसन्नता को व्यक्त करने के लिए शब्द नही सुझते हैं। उसे एहसास होता है कि उसने अपना दायित्व सफलता पूर्वक निर्वहन कर दिया है। संसार में वह सिर्फ माँ ही होती हैं जिस से बिना किसी झिझक के आप अपने मन की बात कह सकते हैं। माँ का स्वरूप कविता और कहानी से परे होता हैं। आज से बिहार का लोकपर्व जो अब ग्लोबल हो चुका हैं, छठ शुरु हो रहा हैं। चार दिन चलने वाला यह सूर्य और छठी माई (षष्ठी देवी चाहे देवी कात्यायनी) के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं।श्रद्धा का भाव ऐसा कि जो मन में हेतु होगा, माता रानी और सूर्य भगवान उसको साकार कर देंगे। सूर्य हमारे सनातन देवता हैं। हमारे यहाँ माना गया है कि सूर्य कि उपासना त्वरित फलदायी होती हैं।सूर्य प्रत्यक्ष देव हैं।सूर्य सारे जगत के ऊर्जा के स्त्रोत हैं।हर युग में सूर्य ने अपनी शक्ति और सामर्थ्य का एहसास दुनिया को‌ कराया हैं।जब विज्ञान नही था और विज्ञान कि आड़ में धर्म को नकारने वाले गदहों कि फौज का जब अस्तित्व नही था उस कालखण्ड में हमारे यहा ऋग्वेद में बताया गया है कि "शकमयं धूमम् आराद् अपश्यम्, विषुवता पर एनावरेण" यानी सूर्य के चारों और दूर-दूर तक शक्तिशाली गैस फैली हुई हैं। सूर्य और ग्रहों कि गणना का हिसाब हमारे यहाँ पुरातन है और यह हम‌ सबको अपने इतिहास पर गौरवपूर्ण बोध कराने के लिए काफी हैं। वामपंथीयों ने पिछली कुछ सालों से एक अलग किश्म का रायता छठ को लेकर फैलाने का दुस्साहसी प्रयास शुरु किया हैं। उन्होंने यह कहना शुरु किया छठ में कोई कर्म कांड नही होता हैं।छठ प्रकृति का पर्व हैं। उन अक्ल के अंधो को उपनिषद पढ़ने कि सलाह देनी चाहिए। कुपढ़ो और जाहिलों को इग्नोर नही करना हैं उनका सामना करना है और अपने तर्क से उनके कुतर्क और कुकर्म को धराशायी करना हैं। छठ के लोक गीत कान से उतरकर सीधे दिल में पहुँच बनाते हैं।सनातन पूजा-पाठ में पवित्रता और प्रकृति से जुड़ाव यह दर्शाता है कि हमलोग सत्य के कितने करीब हैं।पलायन कि शिकार पुर्वांचल की युवा पीढ़ी हो चाहे उनका परिवार छठ का शब्द चाहे उसके गीत जैसे ही उनको सुनाई देते हैं उनको उनका गाँव याद आता हैं। गाँव के घाट याद आते हैं और साथ में याद आता है छठ के घाटों पर सामाजिक समरसता का वह अतिमनोरम दृश्य जो यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि वामपंथीयों को गाँवों को तोड़ने में सफलता कभी हासिल नही होगी। इधर कुछ सालों में विधर्मी लोगों ने दउरा, छइटा, सुपली, सूप और झाड़ू का कारोबार शुरु किया हैं। इनसे हर हाल में बचना हैं। सही मायनो में लोकल‌ फाॅर वोकल तभी सफल‌ है जब उसका लाभ अपने लोगों को मिले। मैंने ऐसे कुछ लोगों को देखा है कि वे बेशक पैसों के लालच में आज बौद्ध चुके हैं परन्तु उनकी माता पिता का आज भी सनातन में आस्था बरकरार हैं।यह सनातन की ताकत हैं।लोभ लालच में विधर्मी बने लोगों को भी यहाँ कि याद सताते रहती हैं। आप‌ सभी सम्मानित मित्रों को आज से चार दिनों तक चलने वाले पावन महापर्व छठ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। छठी माता और सूर्य भगवान सबके मनोरथ को पूर्ण करने में सहायक बने। #मेरीचौपाल
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