Sep17

Vishwakarma Puja

17 Sep 12:00 AM to 17 Sep 11:00 PM
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  • हाथ में फूल और अक्षत लेकर करें इस मंत्र का जाप
    विश्वकर्मा पूज के वक्त हाथ में फूल और अक्षत लेकर मंत्र का जाप करें:
    ऊं आधार शक्तपे नमः
    ऊं कूमयि नमः
    ऊं अनंतम नमः
    ऊं पृथिव्यै नमः
    ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः.
    हाथ में फूल और अक्षत लेकर करें इस मंत्र का जाप विश्वकर्मा पूज के वक्त हाथ में फूल और अक्षत लेकर मंत्र का जाप करें: ऊं आधार शक्तपे नमः ऊं कूमयि नमः ऊं अनंतम नमः ऊं पृथिव्यै नमः ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः.
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  • रवि योग, स्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग
    विश्वकर्मा जयंती में रवि योग सुबह 06.13 बजे से दोपहर 12.21 तक होगा। स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6.13 बजे से दोपहर 12.21 बजे तक होगा। सिद्धि योग 17 सितंबर 2022, सुबह 05.51 बजे से शुरू होकर 18 सितंबर 2022, सुबह 06.34 बजे तक होगा।
    रवि योग, स्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग विश्वकर्मा जयंती में रवि योग सुबह 06.13 बजे से दोपहर 12.21 तक होगा। स्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6.13 बजे से दोपहर 12.21 बजे तक होगा। सिद्धि योग 17 सितंबर 2022, सुबह 05.51 बजे से शुरू होकर 18 सितंबर 2022, सुबह 06.34 बजे तक होगा।
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  • बन रहे हैं अमृत सिद्धि और द्विपुष्कर योग
    विश्वकर्मा पूजन में अमृत सिद्धि योग 17 सितंबर 2022 को सुबह 06.13 बजे से शुरू होकर दोपहर 12.21 तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 12.21 बजे से दोपहर 02.14 बजे द्विपुष्कर योग बनता है।
    बन रहे हैं अमृत सिद्धि और द्विपुष्कर योग विश्वकर्मा पूजन में अमृत सिद्धि योग 17 सितंबर 2022 को सुबह 06.13 बजे से शुरू होकर दोपहर 12.21 तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 12.21 बजे से दोपहर 02.14 बजे द्विपुष्कर योग बनता है।
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  • इन राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है त्योहार
    विश्वकर्मा पूजन का त्योहार मुख्य रुप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक एवं दिल्ली आदि राज्यों में यह काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा का सातवां पुत्र माना जाता है।
    इन राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है त्योहार विश्वकर्मा पूजन का त्योहार मुख्य रुप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक एवं दिल्ली आदि राज्यों में यह काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मा का सातवां पुत्र माना जाता है।
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  • विश्वकर्मा जयंती पर इन मंत्रों का करें जाप
    ॐ आधार शक्तपे नमः
    ॐ कूमयि नमः
    ॐ अनंतम नमः
    ॐ पृथिव्यै नमः
    विश्वकर्मा जयंती पर इन मंत्रों का करें जाप ॐ आधार शक्तपे नमः ॐ कूमयि नमः ॐ अनंतम नमः ॐ पृथिव्यै नमः
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  • भगवान विश्वकर्मा ने किया था इन नगरों का निर्माण
    भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने स्वर्ग लोक, द्वारिका, इंद्रप्रस्थ, सोने की लंका और हस्तिनापुर का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा को देवशिल्पी भी कहा जाता है।
    भगवान विश्वकर्मा ने किया था इन नगरों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने स्वर्ग लोक, द्वारिका, इंद्रप्रस्थ, सोने की लंका और हस्तिनापुर का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा को देवशिल्पी भी कहा जाता है।
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  • भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सामग्री
    लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मिट्‌टी का कलश लौंग, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, सुपारी, कपूर, देसी घी, अक्षत, सूखा गोला, पीला अष्टगंध चंदन, रोली, हल्दी, मौली, नवग्रह समिधा, फल, जनेऊ, हवन कुण्ड, इलायची, आम की लकड़ी, इत्र, दही, धूप, मिठाई, बत्ती, फूल
    भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए सामग्री लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मिट्‌टी का कलश लौंग, जटा वाला नारियल, धूपबत्ती, सुपारी, कपूर, देसी घी, अक्षत, सूखा गोला, पीला अष्टगंध चंदन, रोली, हल्दी, मौली, नवग्रह समिधा, फल, जनेऊ, हवन कुण्ड, इलायची, आम की लकड़ी, इत्र, दही, धूप, मिठाई, बत्ती, फूल
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  • कल रहेगा कौन सा नक्षत्र?
    कल यानी 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है। कल रोहिणी नक्षत्र रहेगा और इस नक्षत्र में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी।
    कल रहेगा कौन सा नक्षत्र? कल यानी 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा है। कल रोहिणी नक्षत्र रहेगा और इस नक्षत्र में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी।
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  • देखें विश्वकर्मा भगवान की चालीसा
    दोहा

    श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरण कमल धरि ध्यान।
    श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥

    चौपाई

    जय श्री विश्वकर्म भगवाना। जय विश्वेश्वर कृपा निधाना॥
    शिल्पाचार्य परम उपकारी। भुवना-पुत्र नाम छविकारी॥

    अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर। शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर॥
    अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता। सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता॥

    अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं। कोई विश्व मंह जानत नाही॥
    विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा। अद्‍भुत वरण विराज सुवेशा॥

    एकानन पंचानन राजे। द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे॥
    चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे । वारि कमण्डल वर कर लीन्हे॥

    शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा। सोहत सूत्र माप अनुरूपा॥
    धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे। नौवें हाथ कमल मन मोहे॥

    दसवां हस्त बरद जग हेतु। अति भव सिंधु मांहि वर सेतु॥
    सूरज तेज हरण तुम कियऊ। अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ॥

    चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका। दण्ड पालकी शस्त्र अनेका॥
    विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं। अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं॥

    इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा। तुम सबकी पूरण की आशा॥
    भांति-भांति के अस्त्र रचाए। सतपथ को प्रभु सदा बचाए॥

    अमृत घट के तुम निर्माता। साधु संत भक्तन सुर त्राता॥
    लौह काष्ट ताम्र पाषाणा। स्वर्ण शिल्प के परम सजाना॥

    विद्युत अग्नि पवन भू वारी। इनसे अद्भुत काज सवारी॥
    खान-पान हित भाजन नाना। भवन विभिषत विविध विधाना॥

    विविध व्सत हित यत्रं अपारा। विरचेहु तुम समस्त संसारा॥
    द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका। विविध महा औषधि सविवेका॥

    शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला। वरुण कुबेर अग्नि यमकाला॥
    तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ। करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ॥

    भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका। कियउ काज सब भये अशोका॥
    अद्भुत रचे यान मनहारी। जल-थल-गगन मांहि-समचारी॥

    शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही। विज्ञान कह अंतर नाही॥
    बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा। सकल सृष्टि है तव विस्तारा॥

    रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा। तुम बिन हरै कौन भव हारी॥
    मंगल-मूल भगत भय हारी। शोक रहित त्रैलोक विहारी॥

    चारो युग परताप तुम्हारा। अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा॥
    ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥

    मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा। सबकी नित करतें हैं रक्षा॥
    पंच पुत्र नित जग हित धर्मा। हवै निष्काम करै निज कर्मा॥

    प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई। विपदा हरै जगत मंह जोई॥
    जै जै जै भौवन विश्वकर्मा। करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा॥

    इक सौ आठ जाप कर जोई। छीजै विपत्ति महासुख होई॥
    पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा। होय सिद्ध साक्षी गौरीशा॥

    विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे। हो प्रसन्न हम बालक तेरे॥
    मैं हूं सदा उमापति चेरा। सदा करो प्रभु मन मंह डेरा॥

    दोहा

    करहु कृपा शंकर सरिसए विश्वकर्मा शिवरूप।
    श्री शुभदा रचना सहितए ह्रदय बसहु सूर भूप॥
    देखें विश्वकर्मा भगवान की चालीसा दोहा श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरण कमल धरि ध्यान। श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥ चौपाई जय श्री विश्वकर्म भगवाना। जय विश्वेश्वर कृपा निधाना॥ शिल्पाचार्य परम उपकारी। भुवना-पुत्र नाम छविकारी॥ अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर। शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर॥ अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता। सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता॥ अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं। कोई विश्व मंह जानत नाही॥ विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा। अद्‍भुत वरण विराज सुवेशा॥ एकानन पंचानन राजे। द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे॥ चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे । वारि कमण्डल वर कर लीन्हे॥ शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा। सोहत सूत्र माप अनुरूपा॥ धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे। नौवें हाथ कमल मन मोहे॥ दसवां हस्त बरद जग हेतु। अति भव सिंधु मांहि वर सेतु॥ सूरज तेज हरण तुम कियऊ। अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ॥ चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका। दण्ड पालकी शस्त्र अनेका॥ विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं। अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं॥ इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा। तुम सबकी पूरण की आशा॥ भांति-भांति के अस्त्र रचाए। सतपथ को प्रभु सदा बचाए॥ अमृत घट के तुम निर्माता। साधु संत भक्तन सुर त्राता॥ लौह काष्ट ताम्र पाषाणा। स्वर्ण शिल्प के परम सजाना॥ विद्युत अग्नि पवन भू वारी। इनसे अद्भुत काज सवारी॥ खान-पान हित भाजन नाना। भवन विभिषत विविध विधाना॥ विविध व्सत हित यत्रं अपारा। विरचेहु तुम समस्त संसारा॥ द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका। विविध महा औषधि सविवेका॥ शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला। वरुण कुबेर अग्नि यमकाला॥ तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ। करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ॥ भे आतुर प्रभु लखि सुर-शोका। कियउ काज सब भये अशोका॥ अद्भुत रचे यान मनहारी। जल-थल-गगन मांहि-समचारी॥ शिव अरु विश्वकर्म प्रभु मांही। विज्ञान कह अंतर नाही॥ बरनै कौन स्वरूप तुम्हारा। सकल सृष्टि है तव विस्तारा॥ रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा। तुम बिन हरै कौन भव हारी॥ मंगल-मूल भगत भय हारी। शोक रहित त्रैलोक विहारी॥ चारो युग परताप तुम्हारा। अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा॥ ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥ मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा। सबकी नित करतें हैं रक्षा॥ पंच पुत्र नित जग हित धर्मा। हवै निष्काम करै निज कर्मा॥ प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई। विपदा हरै जगत मंह जोई॥ जै जै जै भौवन विश्वकर्मा। करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा॥ इक सौ आठ जाप कर जोई। छीजै विपत्ति महासुख होई॥ पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा। होय सिद्ध साक्षी गौरीशा॥ विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे। हो प्रसन्न हम बालक तेरे॥ मैं हूं सदा उमापति चेरा। सदा करो प्रभु मन मंह डेरा॥ दोहा करहु कृपा शंकर सरिसए विश्वकर्मा शिवरूप। श्री शुभदा रचना सहितए ह्रदय बसहु सूर भूप॥
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  • विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे हैं ये योग
    इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन श्रीवत्स, अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि और द्विपुष्कर योग बन रहे हैं जो बेहद शुभ माने जाते हैं।
    विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे हैं ये योग इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन श्रीवत्स, अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि और द्विपुष्कर योग बन रहे हैं जो बेहद शुभ माने जाते हैं।
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  • विश्वकर्मा भगवान के साथ करें इन चीजों की पूजा
    विश्वकर्मा पूजा इस वर्ष 17 सितंबर को है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के साथ लोगों को अस्त्र-शस्त्र की पूजा भी करना चाहिए। लोग इस दिन मशीनों की पूजा भी करते हैं।
    विश्वकर्मा भगवान के साथ करें इन चीजों की पूजा विश्वकर्मा पूजा इस वर्ष 17 सितंबर को है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के साथ लोगों को अस्त्र-शस्त्र की पूजा भी करना चाहिए। लोग इस दिन मशीनों की पूजा भी करते हैं।
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  • Vishwakarma 2022 Shubh Muhurat: इस दिन कब है अभिजीत मुहूर्त?
    विश्वकर्मा पूजा के दिन अभिजीत मुहूर्त बन रहा है। यह शुभ मुहूर्त सुबह 11:51 मिनट से दोपहर 12:40 मिनट तक रहने वाला है।
    Vishwakarma 2022 Shubh Muhurat: इस दिन कब है अभिजीत मुहूर्त? विश्वकर्मा पूजा के दिन अभिजीत मुहूर्त बन रहा है। यह शुभ मुहूर्त सुबह 11:51 मिनट से दोपहर 12:40 मिनट तक रहने वाला है।
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  • Vishwakarma Ji Ki Aarti: भगवान विश्वकर्मा की आरती
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    सकल सृष्टि के करता,
    रक्षक स्तुति धर्मा ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    आदि सृष्टि मे विधि को,
    श्रुति उपदेश दिया ।
    जीव मात्र का जग में,
    ज्ञान विकास किया ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    ऋषि अंगीरा तप से,
    शांति नहीं पाई ।
    ध्यान किया जब प्रभु का,
    सकल सिद्धि आई ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    रोग ग्रस्त राजा ने,
    जब आश्रय लीना ।
    संकट मोचन बनकर,
    दूर दुःखा कीना ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    जब रथकार दंपति,
    तुम्हारी टेर करी ।
    सुनकर दीन प्रार्थना,
    विपत सगरी हरी ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    एकानन चतुरानन,
    पंचानन राजे।
    त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,
    सकल रूप साजे ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    ध्यान धरे तब पद का,
    सकल सिद्धि आवे ।
    मन द्विविधा मिट जावे,
    अटल शक्ति पावे ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    श्री विश्वकर्मा की आरती,
    जो कोई गावे ।
    भजत गजानांद स्वामी,
    सुख संपति पावे ॥
    जय श्री विश्वकर्मा प्रभु
    जय श्री विश्वकर्मा ।
    सकल सृष्टि के करता,
    रक्षक स्तुति धर्मा ॥
    Vishwakarma Ji Ki Aarti: भगवान विश्वकर्मा की आरती जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । आदि सृष्टि मे विधि को, श्रुति उपदेश दिया । जीव मात्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई । ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना । संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी । सुनकर दीन प्रार्थना, विपत सगरी हरी ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । एकानन चतुरानन, पंचानन राजे। त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप साजे ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । ध्यान धरे तब पद का, सकल सिद्धि आवे । मन द्विविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा । श्री विश्वकर्मा की आरती, जो कोई गावे । भजत गजानांद स्वामी, सुख संपति पावे ॥ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा । सकल सृष्टि के करता, रक्षक स्तुति धर्मा ॥
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  • कैसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा
    विश्वकर्मा जी की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा घर या किसी साफ स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाने के बाद उन्हें फूल माला चढ़ाएं और तिलक लगाने के बाद पूजन सामग्री अर्पित करें। भगवान विश्वकर्मा को फिर भोग लगाएं और औजारों-मशीनों की पूजा करें। भगवान विश्वकर्मा की कथा का पाठ करने के बाद अंत में आरती करें।
    कैसे करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा विश्वकर्मा जी की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा घर या किसी साफ स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाने के बाद उन्हें फूल माला चढ़ाएं और तिलक लगाने के बाद पूजन सामग्री अर्पित करें। भगवान विश्वकर्मा को फिर भोग लगाएं और औजारों-मशीनों की पूजा करें। भगवान विश्वकर्मा की कथा का पाठ करने के बाद अंत में आरती करें।
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  • Vishwakarma Puja 2022 Time: विश्वकर्मा पूजा पर पूजा के लिए मुहूर्त
    विश्वकर्मा पूजा पर इस बार पूजा के लिए तीन मुहूर्त बन रहे हैं। पहला मुहूर्त सुबह 7:39 से 9:11 तक रहने वाला है। दूसरा मुहूर्त दोपहर 1:48 से 3:20 तक रहेगा और तीसरा मुहूर्त 3:20 से 4:52 तक रहने वाला है।
    Vishwakarma Puja 2022 Time: विश्वकर्मा पूजा पर पूजा के लिए मुहूर्त विश्वकर्मा पूजा पर इस बार पूजा के लिए तीन मुहूर्त बन रहे हैं। पहला मुहूर्त सुबह 7:39 से 9:11 तक रहने वाला है। दूसरा मुहूर्त दोपहर 1:48 से 3:20 तक रहेगा और तीसरा मुहूर्त 3:20 से 4:52 तक रहने वाला है।
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  • Vishwakarma Puja 2022: इस वर्ष कब है विश्वकर्मा पूजा?
    विश्वकर्मा पूजा इस‌ वर्ष कल यानी 17 सितंबर 2022, शनिवार को है। इस दिन विधि अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी।
    Vishwakarma Puja 2022: इस वर्ष कब है विश्वकर्मा पूजा? विश्वकर्मा पूजा इस‌ वर्ष कल यानी 17 सितंबर 2022, शनिवार को है। इस दिन विधि अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाएगी।
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  • Vishwakarma Puja: कब होती है भगवान विश्वकर्मा की पूजा?
    हर‌ वर्ष आश्विन माह की कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। उन्हें इस‌ सृष्टि का पहला वास्तुकार माना गया है। विश्वकर्मा पूजा पर अस्त्र-शस्त्र की भी पूजा की जाती है।
    Vishwakarma Puja: कब होती है भगवान विश्वकर्मा की पूजा? हर‌ वर्ष आश्विन माह की कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। उन्हें इस‌ सृष्टि का पहला वास्तुकार माना गया है। विश्वकर्मा पूजा पर अस्त्र-शस्त्र की भी पूजा की जाती है।
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  • विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष आश्विन मास की कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की जयंती पड़ रही है। श्राद्ध पक्ष के दौरान विश्वकर्मा पूजा की तिथि पड़ती है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है और उन्हें देवशिल्पी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना का विचार कर रहे थे तब उन्होंने विश्वकर्मा जी को याद किया था।

    भगवान विश्वकर्मा ने ही धरती समेत इस पूरी सृष्टि का निर्माण किया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी इंद्रप्रस्थ, द्वारिका और लंका जैसे नगरों के निर्माता भी हैं। उन्होंने देवताओं के अस्त्र-शस्त्र का भी निर्माण किया है। इस लिए विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। यहां जानें वर्ष 2022 में विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा मुहूर्त, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा, उपाय, आरती व मंत्र।
    विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष आश्विन मास की कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की जयंती पड़ रही है। श्राद्ध पक्ष के दौरान विश्वकर्मा पूजा की तिथि पड़ती है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है और उन्हें देवशिल्पी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना का विचार कर रहे थे तब उन्होंने विश्वकर्मा जी को याद किया था। भगवान विश्वकर्मा ने ही धरती समेत इस पूरी सृष्टि का निर्माण किया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी इंद्रप्रस्थ, द्वारिका और लंका जैसे नगरों के निर्माता भी हैं। उन्होंने देवताओं के अस्त्र-शस्त्र का भी निर्माण किया है। इस लिए विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। यहां जानें वर्ष 2022 में विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा मुहूर्त, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा, उपाय, आरती व मंत्र।
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