0 Comments
0 Shares
1436 Views
0 Reviews
Directory
Discover new creators, create new connections and meet new people to work with
- Please log in to like, share and comment!
-
- You can now post content and enable tips for others to reward you with some amount, they wish from their wallet. Besides we have numerous other changes on site now.You can now post content and enable tips for others to reward you with some amount, they wish from their wallet. Besides we have numerous other changes on site now.
- Guys,
It is high time you should start inviting your friends, those who can contribute with any skillset in creating engaging social media content to the platform.
This would help you gain rewards and lifetime benefits. Also, you can start teaming up with them and create properties to start making money.
Please note - one invite code can be used only once.
Guys, It is high time you should start inviting your friends, those who can contribute with any skillset in creating engaging social media content to the platform. This would help you gain rewards and lifetime benefits. Also, you can start teaming up with them and create properties to start making money. Please note - one invite code can be used only once. - Wirting this as TIP Post example .. to test the tip featureWirting this as TIP Post example .. to test the tip feature
- Hello everyone
Hello everyone - धरोहर की इस कहानी की शुरुआत होती है महाभारत युद्ध से. महाभारत ने कई कहानियों को जन्म दिया है उन्ही में से एक द्वारिका नगरी की कहानी.लेकिन ये सिर्फ़ कहानी नहीं है ये हक़ीक़त है.
द्वारिका नगरी की पौराणिक कहानी
हम सभी जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजयी हुई थी. श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को राजगद्दी पर बैठाया और राज्य से जुड़े नियम-कानून उन्हें समझाकर वे कौरवों की माता गांधारी से मिलने पहुंचे. श्रीकृष्ण के आने पर गांधारी फूट-फूटकर रोने लगीं और फिर क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि जिस तरह तुमने मेरे कुल का नाश किया है, तुम्हारे कुल का अंत भी इसी तरह होगा. श्रीकृष्ण तो साक्षात भगवान थे, चाहते तो इस शाप को निष्फल कर सकते थे. लेकिन उन्होंने मनुष्य जीवन में लिए अपने जन्म का मान रखा और गांधारी को प्रणाम करके वहां से चले गए. इसी शाप के परिणाम स्वरुप एक युद्ध में सभी यदुवंशी आपस में लड़ते हुए मारे गए , बलराम और श्री कृष्ण ने भी देह त्याग किया और श्री कृष्ण के देह त्यागते ही द्वारिका समुद्र में समा गई.
Read More- https://ninetv.in/archives/9147धरोहर की इस कहानी की शुरुआत होती है महाभारत युद्ध से. महाभारत ने कई कहानियों को जन्म दिया है उन्ही में से एक द्वारिका नगरी की कहानी.लेकिन ये सिर्फ़ कहानी नहीं है ये हक़ीक़त है. द्वारिका नगरी की पौराणिक कहानी हम सभी जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजयी हुई थी. श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को राजगद्दी पर बैठाया और राज्य से जुड़े नियम-कानून उन्हें समझाकर वे कौरवों की माता गांधारी से मिलने पहुंचे. श्रीकृष्ण के आने पर गांधारी फूट-फूटकर रोने लगीं और फिर क्रोधित होकर उन्हें शाप दिया कि जिस तरह तुमने मेरे कुल का नाश किया है, तुम्हारे कुल का अंत भी इसी तरह होगा. श्रीकृष्ण तो साक्षात भगवान थे, चाहते तो इस शाप को निष्फल कर सकते थे. लेकिन उन्होंने मनुष्य जीवन में लिए अपने जन्म का मान रखा और गांधारी को प्रणाम करके वहां से चले गए. इसी शाप के परिणाम स्वरुप एक युद्ध में सभी यदुवंशी आपस में लड़ते हुए मारे गए , बलराम और श्री कृष्ण ने भी देह त्याग किया और श्री कृष्ण के देह त्यागते ही द्वारिका समुद्र में समा गई. Read More- https://ninetv.in/archives/9147NINETV.INDharohar Episode#02 : द्वारिका नगरी का समुद्र में डूबने का क्या है रहस्य ? क्या द्वारिका नगरी अभी भी है ?धरोहर की इस कहानी की शुरुआत होती है महाभारत युद्ध से. महाभ - 0 Comments 0 Shares 184 Views 0 Reviews
-
-
-
- 2 Comments 0 Shares 126 Views 0 Reviews
-
-
-
-
-
-
-
- 0 Comments 0 Shares 363 Views 0 Reviews
- 0 Comments 0 Shares 53 Views 0 Reviews
- 0 Comments 0 Shares 138 Views 0 Reviews
- कल ये सवेरा फिर आएगा
सूरज भी आसमां से तुम्हें
अपनी उजली किरणों से नहलाएगा.....
और रातों को ये रूप बदलता चांद ......
अपनी स्निग्ध चांदनी से तुम्हें भिगोएगा....
ज़िंदगी के बदलते मौसम....
दुनिया के बदलते चेहरे .....
शायद.... हम फिर साथ ना हो......
शायद ...... फिर हमारी बात ना हो…....
शायद.... बरसात में सूरज का साथ ना हो ....
शायद ..... तूफानी रातों.... और अमावस की रातों में चांद ना हो ....
लेकिन ..... ये रिश्ता .... जिसमें कोई आस नहीं .... बस विश्वास है....जिसमें चाहे कुछ खास नहीं .... पर सांस है.....
जिसका कोई अंत नहीं .... अनंत है ....
तूफानी रातों में भी ..... होगी सौम्यता उन मीठे पलों की यादों की......
अमावस की रातों में भी..... होगी रोशनी .... तेरे सुरों के नूर की....
बरसात की बूंदों में भी होगी धुन ....
मेरी हंसी की झंकार की.....
बदलते युगों में भी .....बंधी होगी इस खामोश दिव्य रिश्ते की डोर भी......
वक़्त के बदलते रंगों संग ..... सब कुछ बदलेगा .....
पर मेरी यादों का कारवां....
हमेशा तेरे साथ चलेगा........
बस यूं ही....
मनीषाकल ये सवेरा फिर आएगा सूरज भी आसमां से तुम्हें अपनी उजली किरणों से नहलाएगा..... और रातों को ये रूप बदलता चांद ...... अपनी स्निग्ध चांदनी से तुम्हें भिगोएगा.... ज़िंदगी के बदलते मौसम.... दुनिया के बदलते चेहरे ..... शायद.... हम फिर साथ ना हो...... शायद ...... फिर हमारी बात ना हो….... शायद.... बरसात में सूरज का साथ ना हो .... शायद ..... तूफानी रातों.... और अमावस की रातों में चांद ना हो .... लेकिन ..... ये रिश्ता .... जिसमें कोई आस नहीं .... बस विश्वास है....जिसमें चाहे कुछ खास नहीं .... पर सांस है..... जिसका कोई अंत नहीं .... अनंत है .... तूफानी रातों में भी ..... होगी सौम्यता उन मीठे पलों की यादों की...... अमावस की रातों में भी..... होगी रोशनी .... तेरे सुरों के नूर की.... बरसात की बूंदों में भी होगी धुन .... मेरी हंसी की झंकार की..... बदलते युगों में भी .....बंधी होगी इस खामोश दिव्य रिश्ते की डोर भी...... वक़्त के बदलते रंगों संग ..... सब कुछ बदलेगा ..... पर मेरी यादों का कारवां.... हमेशा तेरे साथ चलेगा........ बस यूं ही.... मनीषा - ख़्वाब और हक़ीक़त
ज़मीं आसमां से
इनायत अजियत
हैं पैंतरे वक़्त केख़्वाब और हक़ीक़त ज़मीं आसमां से इनायत अजियत हैं पैंतरे वक़्त के - ज़मीं पर हो पैर
जीने के लिए
हकीक़त से रूबरू हो
ये सपने
जो बुने हैं भविष्य
के अपने !ज़मीं पर हो पैर जीने के लिए हकीक़त से रूबरू हो ये सपने जो बुने हैं भविष्य के अपने ! - अल्फ़ाज़ ही दिल का लिबास
दायरे बनाते हैं दरमियान
या दिल में बनाते हैं आशियां
अल्फ़ाज़ ही हैं इंसान की पहचान !!!!!अल्फ़ाज़ ही दिल का लिबास दायरे बनाते हैं दरमियान या दिल में बनाते हैं आशियां अल्फ़ाज़ ही हैं इंसान की पहचान !!!!! - 0 Comments 0 Shares 116 Views 0 Reviews
- Mai nadi si chanchal itraati , ithlati
Apni lahron se jeewan sangit gunjit karti
Ufanti aakash ka abhinandan karti
Bahti thi apni dhun mein
Lekin
Shahron ke dayron ne
Logon ki sankeern maansikta ne
Baandh diya mere veg ko
Cheen li meri alhad muskan
Meri almast chanchalta
Meri masoomiyat par uthaye anginat sawal
Aur Sarswati si Mai thahar gayi ho gayi lupt
Ab nahi paoge tum mujhe kabhi apne saath
Ab sirf simat kar rah gayi apne udgam sthan
Jahan aaj bhi mai bah rahi apne prachand pravaah ke saath
Tanha , khamosh Prakarti ke aanchal mein
Ishwar ke dham
Jo kabhi nahi karte mujhse koi sawal
Nahi uthate mere astitv aur mere charitr par koi sawal
Nahi miloongi mai ab kabhi tumhe
Jeewan ke kisi maud par yadi milna chaho to
Aana hoga tumhe mere udgam sthan
Par suno mera jal ab chanchal aur meetha nahi raha kyunki usme ab samahit ho chuki hai mere ashkon ki jheel !!!!!!!!Mai nadi si chanchal itraati , ithlati Apni lahron se jeewan sangit gunjit karti Ufanti aakash ka abhinandan karti Bahti thi apni dhun mein Lekin Shahron ke dayron ne Logon ki sankeern maansikta ne Baandh diya mere veg ko Cheen li meri alhad muskan Meri almast chanchalta Meri masoomiyat par uthaye anginat sawal Aur Sarswati si Mai thahar gayi ho gayi lupt Ab nahi paoge tum mujhe kabhi apne saath Ab sirf simat kar rah gayi apne udgam sthan Jahan aaj bhi mai bah rahi apne prachand pravaah ke saath Tanha , khamosh Prakarti ke aanchal mein Ishwar ke dham Jo kabhi nahi karte mujhse koi sawal Nahi uthate mere astitv aur mere charitr par koi sawal Nahi miloongi mai ab kabhi tumhe Jeewan ke kisi maud par yadi milna chaho to Aana hoga tumhe mere udgam sthan Par suno mera jal ab chanchal aur meetha nahi raha kyunki usme ab samahit ho chuki hai mere ashkon ki jheel !!!!!!!! - 0 Comments 0 Shares 154 Views 0 Reviews
- 0 Comments 0 Shares 157 Views 0 Reviews