• नवरात्रि की पहली रात, माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद और अनंत भक्ति के संग। इस अद्भुत पर्व की शुरुआत में, हम सभी को एक नई ऊर्जा और शक्ति मिलती है। आइए, हम सभी मिलकर इस अद्भुत पर्व को मनाएं और माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें। ?

    #नवरात्रि2023
    #MaaShailputri
    #नवरात्रिकीशुरुआत
    #BhaktiKiRaas
    #अनंतभक्ति
    #नवरात्रिBlessings
    #NavratriDay1
    #DurgaPuja2023
    #DivineBeginnings
    #SpiritualAwakening
    नवरात्रि की पहली रात, माँ शैलपुत्री के आशीर्वाद और अनंत भक्ति के संग। इस अद्भुत पर्व की शुरुआत में, हम सभी को एक नई ऊर्जा और शक्ति मिलती है। आइए, हम सभी मिलकर इस अद्भुत पर्व को मनाएं और माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें। ? #नवरात्रि2023 #MaaShailputri #नवरात्रिकीशुरुआत #BhaktiKiRaas #अनंतभक्ति #नवरात्रिBlessings #NavratriDay1 #DurgaPuja2023 #DivineBeginnings #SpiritualAwakening
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  • 8 अक्टूबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिष में इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है। इस योग में खरीदारी और अन्य शुभ काम करने से उनका फायदा मिलेगा। नवरात्र से पहले आने वाला ये रवि पुष्य संयोग पूरे दिन रहेगा। फिर दीपावली से पहले 5 नवंबर को रवि पुष्य योग बनेगा।

    ऐसी स्थिति साल में चार-पांच बार ही बनती है, इसलिए हर तरह के शुभ काम और नए काम की शुरुआत के लिए 8 तारीख को बन रहा शुभ संयोग बहुत ही खास रहेगा। इस शुभ संयोग में किए गए लेन-देन, निवेश, खरीदारी और शुरू किए काम से धन लाभ होता है।

    #ninetv

    8 अक्टूबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिष में इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है। इस योग में खरीदारी और अन्य शुभ काम करने से उनका फायदा मिलेगा। नवरात्र से पहले आने वाला ये रवि पुष्य संयोग पूरे दिन रहेगा। फिर दीपावली से पहले 5 नवंबर को रवि पुष्य योग बनेगा। ऐसी स्थिति साल में चार-पांच बार ही बनती है, इसलिए हर तरह के शुभ काम और नए काम की शुरुआत के लिए 8 तारीख को बन रहा शुभ संयोग बहुत ही खास रहेगा। इस शुभ संयोग में किए गए लेन-देन, निवेश, खरीदारी और शुरू किए काम से धन लाभ होता है। #ninetv
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  • *अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी* ...

    ?थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना

    मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य ...
    थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ...

    *मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है*।---

    बकरे का,
    गाय का,
    भेंस का,
    ऊँट का,
    सुअर,
    हिरण का,
    तीतर का,
    मुर्गे का,
    हलाल का,
    बिना हलाल का,
    ताजा बकरे का,
    भुना हुआ,
    छोटी मछली,
    बड़ी मछली,
    हल्की आंच पर सिका हुआ।
    न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।
    क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....

    स्वाद से कारोबार बन गई मौत।
    मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।
    नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*
    स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।

    जो हमारी तरह बोल नही सकते,
    अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं,
    उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?
    कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?
    या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?

    डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए !

    बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??
    जिसे काटा गया होगा ?
    जो कराहा होगा ?
    जो तड़पा होगा ?
    जिसकी आहें निकली होंगी ?
    जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?

    कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो
    भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..

    क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .
    क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..
    धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।
    कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो ।

    कभी सोचा ...!!!
    क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?

    किसे ठग रहे हो ?
    भगवान को ?
    अल्लाह को ?
    जीसस को?
    या खुद को ?

    मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!!
    आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!!
    अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!!
    नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!!

    झूठ पर झूठ....
    ...झूठ पर झूठ
    ..झूठ पर झूठ ..

    ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया।

    तुम्ही कहते हो, की हम जो प्रकति को देंगे, वही प्रकृति हमे लौटायेगी।
    यह संकेत है ईश्वर का।

    प्रकृति के साथ रहो।
    प्रकृति के होकर रहो।
    #Anand_Mishra
    *अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है आदमी* ... ?थोड़ा समय निकाल कर अंत तक पूरा पढ़ना ✍️ मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य ... थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ... *मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा स्वाद है*।--- बकरे का, गाय का, भेंस का, ऊँट का, सुअर, हिरण का, तीतर का, मुर्गे का, हलाल का, बिना हलाल का, ताजा बकरे का, भुना हुआ, छोटी मछली, बड़ी मछली, हल्की आंच पर सिका हुआ। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के। क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा.... स्वाद से कारोबार बन गई मौत। मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स। नाम *पालन* और मक़सद *हत्या*❗ स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है। जो हमारी तरह बोल नही सकते, अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं, उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ? कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ? या उनकी आहें नहीं निकलतीं ? डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! किसी की आहें मत लेना ! किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए ! बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...?? जिसे काटा गया होगा ? जो कराहा होगा ? जो तड़पा होगा ? जिसकी आहें निकली होंगी ? जिसने बद्दुआ भी दी होगी ? कैसे मान लिया कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे ..❓ क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓ क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है ..❓ धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो। कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो । कभी सोचा ...!!! क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ? किसे ठग रहे हो ? भगवान को ? अल्लाह को ? जीसस को? या खुद को ? मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!!! आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!!! अभी रोज़े चल रहे हैं ....!!! नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!!! झूठ पर झूठ.... ...झूठ पर झूठ ..झूठ पर झूठ .. ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी । ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको। लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया। तुम्ही कहते हो, की हम जो प्रकति को देंगे, वही प्रकृति हमे लौटायेगी। यह संकेत है ईश्वर का। प्रकृति के साथ रहो। प्रकृति के होकर रहो। #Anand_Mishra
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  • शारदीय नवरात्र का आज पहला दिन है ।आज के दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है । सनातन में शारदीय नवरात्र का एक विशेष स्थान है। शक्ति स्वरूपा मां की पूजा-अर्चना के लिए यह 9 दिन विशेष माने गए हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण वध से पूर्व भगवान श्रीराम ने मां के नौ रूपों की अर्चना की और पूजा की समाप्ति पर रावण वध किया।
    शारदीय नवरात्र का आज पहला दिन है ।आज के दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है । सनातन में शारदीय नवरात्र का एक विशेष स्थान है। शक्ति स्वरूपा मां की पूजा-अर्चना के लिए यह 9 दिन विशेष माने गए हैं, ऐसा कहा जाता है कि रावण वध से पूर्व भगवान श्रीराम ने मां के नौ रूपों की अर्चना की और पूजा की समाप्ति पर रावण वध किया।
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