क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे , नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे , तो कुछ ऐसा ही है इन तथाकथित फेमिनिस्टवादियों के साथ .....जब सनातन धर्म और उसकी परम्पराओं की बात आती है तो गूंगे भी बोल उठते हैं और जब दूसरे मज़हब और उनके रिवाजों की बात होती है तो सारे के सारे गूंगे बहरे हो जाते हैं.... इनकी कुत्सित मानसिकता तो तब चरम पर पहुंचती है कि जब इनकी मानवीय संवेदना भी धर्म और मजहब देखकर जाग्रत होती हैं ..... चाहे वो रेप हो या हत्या , हिन्दुओं के साथ हो तो मुंह से बोल नहीं फूटते और जब काले तम्बू वालों के साथ हों तो बम्बू में आग लग जाती है इनके ..... नारी की गरिमा से कोसों दूर ... लाली, लिपस्टिक , क्रीम , पाउडर की परतें चढ़ा , अपनी बदसूरत सोच को ढके , ये फेमिनिस्ट जब हमारी सनातन संस्कृति का बलात्कार करने का प्रयास करती हैं , तो क्यूं नहीं इन पर भी पॉस्को लगे , जहां सर तन से जुदा वाली सोच चलती है वहां इन्हें स्त्री के लिए श्राप जैसे घोर नरक वाले हलाला , ट्रिपल तलाक़, चार शादियां वगैरह नहीं दिखते, जिस समाज में क्रूरता और हिंसा धर्म के नाम पर जायज़ हो और उसका ईनाम सत्तर हूरों का मिलना हो , वहां इन फेमिनिस्ट की ज़बान पर ताले क्यूं लग जाते हैं !!!!!!

ये सुविधावादी सोच वाली फेमिनिस्ट स्वतंत्रता और स्वछंदता का अंतर ही नहीं जानती....छछूंदर जैसी , स्वतंत्रता के नाम पर , वल्गैरिटी की नुमाइश करने वाली , सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने मानसिक दिवालियेपन का नाद करती हैं और अश्लीलता की ब्रांड एंबेसडर ......नाम कोई भी हो जाति कोई भी ही लेकिन इनकी एक ही जात होती है..... बोले तो गिरी हुई ...
क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे , नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे , तो कुछ ऐसा ही है इन तथाकथित फेमिनिस्टवादियों के साथ .....जब सनातन धर्म और उसकी परम्पराओं की बात आती है तो गूंगे भी बोल उठते हैं और जब दूसरे मज़हब और उनके रिवाजों की बात होती है तो सारे के सारे गूंगे बहरे हो जाते हैं.... इनकी कुत्सित मानसिकता तो तब चरम पर पहुंचती है कि जब इनकी मानवीय संवेदना भी धर्म और मजहब देखकर जाग्रत होती हैं ..... चाहे वो रेप हो या हत्या , हिन्दुओं के साथ हो तो मुंह से बोल नहीं फूटते और जब काले तम्बू वालों के साथ हों तो बम्बू में आग लग जाती है इनके ..... नारी की गरिमा से कोसों दूर ... लाली, लिपस्टिक , क्रीम , पाउडर की परतें चढ़ा , अपनी बदसूरत सोच को ढके , ये फेमिनिस्ट जब हमारी सनातन संस्कृति का बलात्कार करने का प्रयास करती हैं , तो क्यूं नहीं इन पर भी पॉस्को लगे , जहां सर तन से जुदा वाली सोच चलती है वहां इन्हें स्त्री के लिए श्राप जैसे घोर नरक वाले हलाला , ट्रिपल तलाक़, चार शादियां वगैरह नहीं दिखते, जिस समाज में क्रूरता और हिंसा धर्म के नाम पर जायज़ हो और उसका ईनाम सत्तर हूरों का मिलना हो , वहां इन फेमिनिस्ट की ज़बान पर ताले क्यूं लग जाते हैं !!!!!! ये सुविधावादी सोच वाली फेमिनिस्ट स्वतंत्रता और स्वछंदता का अंतर ही नहीं जानती....छछूंदर जैसी , स्वतंत्रता के नाम पर , वल्गैरिटी की नुमाइश करने वाली , सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने मानसिक दिवालियेपन का नाद करती हैं और अश्लीलता की ब्रांड एंबेसडर ......नाम कोई भी हो जाति कोई भी ही लेकिन इनकी एक ही जात होती है..... बोले तो गिरी हुई ...
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