समीक्षा - अंतस की खुरचन
मनुष्य एक जीवन में हजारों जीवन जीता है। उन सभी जीवन के अनुभवों को मिलाकर उसका व्यक्तित्व बनता है। जब उम्र का तक़रीबन आधा सफ़र तय कर लेता है तब वह अपने अनुभव संसार से बांटना चाहता है। अपने पदचिन्ह छोड़ना चाहता है, अपने अनुभव की पूँजी किसी को संभलवाना चाहता है। आज के आपाधापी के दौर में किसके पास इतना समय है जो किसी के अनुभव से स्वयं को संवार सके, दो घड़ी किसी के पास बैठ सके, बतिया सके। ऐसे में...
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