भोकाल दुलत्ती का! -

कहते हैं कि गधों को दुलत्ती मारने की आदत होती है लेकिन कुछ दु.. लत को दुलत्ती खाए बिना अक्ल नहीं आती ... अब भला खानदानी गधे से ज़्यादा बढ़िया दुलत्ती कौन खिला सकता है..... पहली बार देखने को मिला इस ब्रांडेड युग में कि गधे भी ब्रांडेड होते हैं और उनकी दुलत्ती भी... अपनी ज़रूरत से अधिक महत्वकांक्षा और सही कहें तो लाल अच जब कब्र में पैर पड़े होने पर भी हावी रहता हो और देश और समाज को दरकिनार कर दिया जाता हो तो ऐसे लोगों को किनारे लगते देर नहीं लगती ....ऐसे लोग ना केवल हाशिए पर आ जाते हैं बल्कि लालच के नाले में कीड़े की तरह डूब कर मर जाते हैं और उनकी स्थिति, ना माया मिली ना राम जैसी हो जाती है ..

आजकल के अज पाब भी ऐसा ही कर रहे .....अरे कौन इन्हें समझाए जो मौज कर रहे कर लो... लेकिन अब भी इनकी आत्मा घोड़े बेचकर सो रही हो जैसे ,तो ऐसे अज़ पाव को मज करने भेज देना चाहिए.... बड़े बुज़ुर्ग ऐसे को ही पढ़े लिखे गंवार कहते होंगे , सिस्टम का अचार डालकर खैनी चाट कर ये ता ता थईया कब तक चलेगी और ईमानदार की बैंड बजाकर ये भूल ना जाना कि ये देश है वीर जवानों का , और इनकी सटक ली तो भाई सारे नाग नागिन डांस करते नज़र आएंगे ...

हमारा डॉग, डॉग और सड्डा डॉग टॉमी.... ट्विन टॉवर को तोड़ने में अलग नियम और हल्द्वानी की अवैध बस्ती के लिए कुछ और ....
कहां से आते हैं ऐसे महान आत्मन.... अंग्रेजों से भी सौ कदम आगे .... गब्बर सिंह , मोगैंबो सब के सब गम खाके गश खा जाएं इन सफेदपोशों के आगे तो...



महादेव की भक्ति की बीन पर सारे सांप बिच्छू नाचते नाचते गर्दिश की टोकरी में बंद होकर रह जाएंगे .....फिर ना कहियो भइया
हमें कि इस महान संस्कृति के रक्षकों ने इन कोबराओं को कैबरे करा दिन दहाड़े इनकी कुत्सित मानसिकता को सफ़ाचट कर दिया.....!!!!!
भोकाल दुलत्ती का! - कहते हैं कि गधों को दुलत्ती मारने की आदत होती है लेकिन कुछ दु.. लत को दुलत्ती खाए बिना अक्ल नहीं आती ... अब भला खानदानी गधे से ज़्यादा बढ़िया दुलत्ती कौन खिला सकता है..... पहली बार देखने को मिला इस ब्रांडेड युग में कि गधे भी ब्रांडेड होते हैं और उनकी दुलत्ती भी... अपनी ज़रूरत से अधिक महत्वकांक्षा और सही कहें तो लाल अच जब कब्र में पैर पड़े होने पर भी हावी रहता हो और देश और समाज को दरकिनार कर दिया जाता हो तो ऐसे लोगों को किनारे लगते देर नहीं लगती ....ऐसे लोग ना केवल हाशिए पर आ जाते हैं बल्कि लालच के नाले में कीड़े की तरह डूब कर मर जाते हैं और उनकी स्थिति, ना माया मिली ना राम जैसी हो जाती है .. आजकल के अज पाब भी ऐसा ही कर रहे .....अरे कौन इन्हें समझाए जो मौज कर रहे कर लो... लेकिन अब भी इनकी आत्मा घोड़े बेचकर सो रही हो जैसे ,तो ऐसे अज़ पाव को मज करने भेज देना चाहिए.... बड़े बुज़ुर्ग ऐसे को ही पढ़े लिखे गंवार कहते होंगे , सिस्टम का अचार डालकर खैनी चाट कर ये ता ता थईया कब तक चलेगी और ईमानदार की बैंड बजाकर ये भूल ना जाना कि ये देश है वीर जवानों का , और इनकी सटक ली तो भाई सारे नाग नागिन डांस करते नज़र आएंगे ... हमारा डॉग, डॉग और सड्डा डॉग टॉमी.... ट्विन टॉवर को तोड़ने में अलग नियम और हल्द्वानी की अवैध बस्ती के लिए कुछ और .... कहां से आते हैं ऐसे महान आत्मन.... अंग्रेजों से भी सौ कदम आगे .... गब्बर सिंह , मोगैंबो सब के सब गम खाके गश खा जाएं इन सफेदपोशों के आगे तो... महादेव की भक्ति की बीन पर सारे सांप बिच्छू नाचते नाचते गर्दिश की टोकरी में बंद होकर रह जाएंगे .....फिर ना कहियो भइया हमें कि इस महान संस्कृति के रक्षकों ने इन कोबराओं को कैबरे करा दिन दहाड़े इनकी कुत्सित मानसिकता को सफ़ाचट कर दिया.....!!!!!
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