• इस झूठी दुनिया से दूर भागता मन, खोजता है विश्रांति के पथ. पथिक बन अब भटकन से पाना चाहता है निजात. चाहता है पहुंचना मंजिल पर, अनभिज्ञ होते हुए भी. लक्ष्य निर्धारित हो तो चलना आसान हो जाता है.

    भ्रम की दुनिया से मुक्ति हेतु आवश्यक है आत्ममंथन. प्रक्रिया जारी रखने हेतु आवश्यक है अपनी इन्द्रियों को अपने अन्दर समेटना. उसके लिए आवश्यक है झूठे संसार से विदा लेना. अंतर्मुखी बन जाना.

    आत्मबोध की दिशा में चलने हेतु पहला कदम है यह...आश्रयस्थलियाँ महज पड़ाव हैं, मंजिल नहीं.

    #vandanagupta08
    इस झूठी दुनिया से दूर भागता मन, खोजता है विश्रांति के पथ. पथिक बन अब भटकन से पाना चाहता है निजात. चाहता है पहुंचना मंजिल पर, अनभिज्ञ होते हुए भी. लक्ष्य निर्धारित हो तो चलना आसान हो जाता है. भ्रम की दुनिया से मुक्ति हेतु आवश्यक है आत्ममंथन. प्रक्रिया जारी रखने हेतु आवश्यक है अपनी इन्द्रियों को अपने अन्दर समेटना. उसके लिए आवश्यक है झूठे संसार से विदा लेना. अंतर्मुखी बन जाना. आत्मबोध की दिशा में चलने हेतु पहला कदम है यह...आश्रयस्थलियाँ महज पड़ाव हैं, मंजिल नहीं. #vandanagupta08
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