संगीत समझने के लिए आपको भाषा की जरूरत नहीं होती, आप किसी भी देश, प्रांत या भाषा का गाना या लोक - गीत उठा कर देख लीजिए, अगर आप क्षेत्रीय पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हैं तो आपको वो जरूर पसंद आयेगा।
क्योंकि आपको उसे सुनने और फील करने की जरूरत होती है न कि शब्दों के पीछे पड़ने की ( यहां उन गीतों को न गिना जाए जो बनाए ही टारगेटेड हैं )
लगभग तीन दिन से मैं लैपटॉप को हाथ नहीं लगा पाया हूं, और न ही कोई काम करने का वक्त मिला अगले एक हफ्ते भी यही आलम रहने वाला है, मैं अपने काम से ज्यादा काम के वक्त लगाए गए अलग अलग भाषा देश के इंस्ट्रुमेंटल संगीत को ज्यादा मिस कर रहा हूं।
कहते हैं ब्रम्हांड का पहला नाद ॐ है।
हालिया पढ़ी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने भी इसकी पुष्टि की है कि जो निरंतर बजती ध्वनि या साउंड वेव्स हमारे पकड़ में आई हैं वो ॐ से मिलती जुलती हैं, वैज्ञानिक तर्कों को एक बार मंड,ल के लिए साइड में रख दें और अगर गौर करें तो यहां अपने आस पास हर चीज की एक साउंड वेव्स है, बिना आवाज के आप जीवित रह ही नहीं सकते, भले ही आपको उनका सुनाई देना समझ में आए या न आए, पर हम सब एक निरंतर बजती साउंड वेव्स के जाल के अंदर ही रहते हैं, ज्यादा दूर न ही जाओ तो कभी अपने हाथ की हथेली को सीने पर रखकर फील ले लेना, वहां भी एक संगीत बजता है, इस बात पर मुझे Ankita Jain जी कि लिखी एक लाइन याद आ रही है,
" दुनिया में इससे रोमांचकारी और क्या होगा कि अब आपके सीने के अलावा आपके पेट में भी एक दिल धड़क रहा है। "
यह कोट उन्होंने अपनी किताब ' मैं से मां तक ' में लिखा है।
कितनी खूबसूरत बात है, एक नजर से देखने में साधारण लगती है पर अगर फील किया जाए तो...
खैर बात हो रही थी संगीत की...ध्वनि की...
काफी लोग जानते हैं, पर कुछ ही मानते और उससे भी कम लोग ये समझते हैं कि संगीत एक तरीके से हीलिंग का भी काम करता है, बशर्ते आप अपने आप को उसकी लय में बहने के लिए ढीला छोड़ दें।
अगर आपको अपनी कार्य कुशलता, कार्य क्षमता और सबसे जरूरी, मानसिक शांति पाकर एकाग्र चित्त होना है तो, उल जलूल गीतों को परे करिए और संगीत की तरफ फोकस करिए, यूट्यूब भरा पड़ा है ऐसी चीजों से।
अगर दिल से देखेंगे तो आपको हर जगह संगीत नजर आएगा,
बहते पानी में...
जलती चटकती हुई लकड़ियों में...
किसी पहाड़ी दर्रे में पेड़ों के पत्तों को छूकर आती हवाओं में...
हर जगह प्राकृतिक रूप से भी संगीत व्यापत है, बस जरूरत है तो खुद को बंधनों से मुक्त करने की।
#Abhirajthakur #bhokalbanarahe संगीत समझने के लिए आपको भाषा की जरूरत नहीं होती, आप किसी भी देश, प्रांत या भाषा का गाना या लोक - गीत उठा कर देख लीजिए, अगर आप क्षेत्रीय पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं हैं तो आपको वो जरूर पसंद आयेगा।
क्योंकि आपको उसे सुनने और फील करने की जरूरत होती है न कि शब्दों के पीछे पड़ने की ( यहां उन गीतों को न गिना जाए जो बनाए ही टारगेटेड हैं )
लगभग तीन दिन से मैं लैपटॉप को हाथ नहीं लगा पाया हूं, और न ही कोई काम करने का वक्त मिला अगले एक हफ्ते भी यही आलम रहने वाला है, मैं अपने काम से ज्यादा काम के वक्त लगाए गए अलग अलग भाषा देश के इंस्ट्रुमेंटल संगीत को ज्यादा मिस कर रहा हूं।
कहते हैं ब्रम्हांड का पहला नाद ॐ है।
हालिया पढ़ी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने भी इसकी पुष्टि की है कि जो निरंतर बजती ध्वनि या साउंड वेव्स हमारे पकड़ में आई हैं वो ॐ से मिलती जुलती हैं, वैज्ञानिक तर्कों को एक बार मंड,ल के लिए साइड में रख दें और अगर गौर करें तो यहां अपने आस पास हर चीज की एक साउंड वेव्स है, बिना आवाज के आप जीवित रह ही नहीं सकते, भले ही आपको उनका सुनाई देना समझ में आए या न आए, पर हम सब एक निरंतर बजती साउंड वेव्स के जाल के अंदर ही रहते हैं, ज्यादा दूर न ही जाओ तो कभी अपने हाथ की हथेली को सीने पर रखकर फील ले लेना, वहां भी एक संगीत बजता है, इस बात पर मुझे Ankita Jain जी कि लिखी एक लाइन याद आ रही है,
" दुनिया में इससे रोमांचकारी और क्या होगा कि अब आपके सीने के अलावा आपके पेट में भी एक दिल धड़क रहा है। "
यह कोट उन्होंने अपनी किताब ' मैं से मां तक ' में लिखा है।
कितनी खूबसूरत बात है, एक नजर से देखने में साधारण लगती है पर अगर फील किया जाए तो...
खैर बात हो रही थी संगीत की...ध्वनि की...
काफी लोग जानते हैं, पर कुछ ही मानते और उससे भी कम लोग ये समझते हैं कि संगीत एक तरीके से हीलिंग का भी काम करता है, बशर्ते आप अपने आप को उसकी लय में बहने के लिए ढीला छोड़ दें।
अगर आपको अपनी कार्य कुशलता, कार्य क्षमता और सबसे जरूरी, मानसिक शांति पाकर एकाग्र चित्त होना है तो, उल जलूल गीतों को परे करिए और संगीत की तरफ फोकस करिए, यूट्यूब भरा पड़ा है ऐसी चीजों से।
अगर दिल से देखेंगे तो आपको हर जगह संगीत नजर आएगा,
बहते पानी में...
जलती चटकती हुई लकड़ियों में...
किसी पहाड़ी दर्रे में पेड़ों के पत्तों को छूकर आती हवाओं में...
हर जगह प्राकृतिक रूप से भी संगीत व्यापत है, बस जरूरत है तो खुद को बंधनों से मुक्त करने की।
#Abhirajthakur
#bhokalbanarahe