फना हो गए हम अपनों के शहर में
रकीबों के तो खुदा बन बैठे

तमाम उम्र तलाशते रहे तुमको
तू मिला तो खुद को भुला बैठे v ye

तमाम उम्र डूबे रहे अश्कों के समुंदर में
मिले जो तुम हमें ऊंची उड़ान भर बैठे

ज़िन्दगी की बंदिशों में कैद थे कब से
मिले जो तुम हमें तुम्हारे दिल को अपना आशियां बना बैठे

ये तुम्हारे जज़बे का असर ही तो है
तेरी तस्वीर जो देखी कल
उसी को अपने दिल
में बसा बैठे !!!!!

मनीषा ??
फना हो गए हम अपनों के शहर में रकीबों के तो खुदा बन बैठे तमाम उम्र तलाशते रहे तुमको तू मिला तो खुद को भुला बैठे v ye तमाम उम्र डूबे रहे अश्कों के समुंदर में मिले जो तुम हमें ऊंची उड़ान भर बैठे ज़िन्दगी की बंदिशों में कैद थे कब से मिले जो तुम हमें तुम्हारे दिल को अपना आशियां बना बैठे ये तुम्हारे जज़बे का असर ही तो है तेरी तस्वीर जो देखी कल उसी को अपने दिल में बसा बैठे !!!!! मनीषा ??
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