नीरवता नीड़ तले
एक नीड़ छायादार फलदार,
ठंडी हवा देने वाला , ईश्वर का अनुपम उपहार है !
धूप , बारिश , सर्दी सहकर भी खड़ा रहता , प्रकृति की लय ताल पर नृत्य करता , झूमता गाता , पक्षियों के कलरव को सुनता , मंद मंद मुस्काता !
किंतु कोई नहीं अब उसकी खयाल रखने वाला , उससे बतियाने वाला , अब वो दिन कहां जब बच्चे वृक्ष तले खेला करते थे और बड़े लोग उसकी केयर करते थे !
आज तो बस नीरवता छाई है नीड़ तले जैसे चिराग़ तले अंधेरा !!!!! क्या कोई समझ पाएगा कभी नीड़ की नीरवता और गुंजित करेगा नीड़ को किलकारियों से और होगी रौनक और जीवन की हलचल नीड़ तले !!!!!
मनीषा
स्वरचित मौलिक
एक नीड़ छायादार फलदार,
ठंडी हवा देने वाला , ईश्वर का अनुपम उपहार है !
धूप , बारिश , सर्दी सहकर भी खड़ा रहता , प्रकृति की लय ताल पर नृत्य करता , झूमता गाता , पक्षियों के कलरव को सुनता , मंद मंद मुस्काता !
किंतु कोई नहीं अब उसकी खयाल रखने वाला , उससे बतियाने वाला , अब वो दिन कहां जब बच्चे वृक्ष तले खेला करते थे और बड़े लोग उसकी केयर करते थे !
आज तो बस नीरवता छाई है नीड़ तले जैसे चिराग़ तले अंधेरा !!!!! क्या कोई समझ पाएगा कभी नीड़ की नीरवता और गुंजित करेगा नीड़ को किलकारियों से और होगी रौनक और जीवन की हलचल नीड़ तले !!!!!
मनीषा
स्वरचित मौलिक
नीरवता नीड़ तले
एक नीड़ छायादार फलदार,
ठंडी हवा देने वाला , ईश्वर का अनुपम उपहार है !
धूप , बारिश , सर्दी सहकर भी खड़ा रहता , प्रकृति की लय ताल पर नृत्य करता , झूमता गाता , पक्षियों के कलरव को सुनता , मंद मंद मुस्काता !
किंतु कोई नहीं अब उसकी खयाल रखने वाला , उससे बतियाने वाला , अब वो दिन कहां जब बच्चे वृक्ष तले खेला करते थे और बड़े लोग उसकी केयर करते थे !
आज तो बस नीरवता छाई है नीड़ तले जैसे चिराग़ तले अंधेरा !!!!! क्या कोई समझ पाएगा कभी नीड़ की नीरवता और गुंजित करेगा नीड़ को किलकारियों से और होगी रौनक और जीवन की हलचल नीड़ तले !!!!!
मनीषा
स्वरचित मौलिक