गुज़ारिश है ये तथाकथित बुद्धिजीवियों से
खोलें अपने ज्ञान चक्षुओं को
एक बार ज्ञान के सागर में गोता लगाएं
उसकी गहराई को जाने
और कृपा कर तभी अपने मुखारविंद को खोलें
विशेषतः भारतीय संस्कृति और धर्म को समझने के लिए
आपको लेने होंगे कई जन्म
तो कृपया इन विषयों को न छेड़े
क्योंकि यदि ये बात छिड़ी
तो दूर तक जाएगी
फिर शायद आपको अपनी नानी दादी याद आएंगी
किंतु यदि आपने रावण जैसी ही ठानी है
तो फिर कुछ कहना बेमानी है
शिशुपाल की तरह करिए सौ अपराध
फिर तो कृष्ण के हाथों ही मिलेगा आपको निर्वाण
जो कहा उसपर गौर फरमाइएगा
तभी अगली बार अपनी कैंची सी जबान चलाईएगा
या अपनी निकृष्ट सोच सोशल मीडिया पर उगलिएगा
नहीं तो फिर बस पछताइएगा और बस पछताइएगा
बेहतर है अपना समय और श्रम
शुभ और श्रेष्ठ कार्यों में लगाइएगा
और अपने जीवन को ही जन्नत बनाइएगा !!!!!!
एक व्यंग्य
खोलें अपने ज्ञान चक्षुओं को
एक बार ज्ञान के सागर में गोता लगाएं
उसकी गहराई को जाने
और कृपा कर तभी अपने मुखारविंद को खोलें
विशेषतः भारतीय संस्कृति और धर्म को समझने के लिए
आपको लेने होंगे कई जन्म
तो कृपया इन विषयों को न छेड़े
क्योंकि यदि ये बात छिड़ी
तो दूर तक जाएगी
फिर शायद आपको अपनी नानी दादी याद आएंगी
किंतु यदि आपने रावण जैसी ही ठानी है
तो फिर कुछ कहना बेमानी है
शिशुपाल की तरह करिए सौ अपराध
फिर तो कृष्ण के हाथों ही मिलेगा आपको निर्वाण
जो कहा उसपर गौर फरमाइएगा
तभी अगली बार अपनी कैंची सी जबान चलाईएगा
या अपनी निकृष्ट सोच सोशल मीडिया पर उगलिएगा
नहीं तो फिर बस पछताइएगा और बस पछताइएगा
बेहतर है अपना समय और श्रम
शुभ और श्रेष्ठ कार्यों में लगाइएगा
और अपने जीवन को ही जन्नत बनाइएगा !!!!!!
एक व्यंग्य
गुज़ारिश है ये तथाकथित बुद्धिजीवियों से
खोलें अपने ज्ञान चक्षुओं को
एक बार ज्ञान के सागर में गोता लगाएं
उसकी गहराई को जाने
और कृपा कर तभी अपने मुखारविंद को खोलें
विशेषतः भारतीय संस्कृति और धर्म को समझने के लिए
आपको लेने होंगे कई जन्म
तो कृपया इन विषयों को न छेड़े
क्योंकि यदि ये बात छिड़ी
तो दूर तक जाएगी
फिर शायद आपको अपनी नानी दादी याद आएंगी
किंतु यदि आपने रावण जैसी ही ठानी है
तो फिर कुछ कहना बेमानी है
शिशुपाल की तरह करिए सौ अपराध
फिर तो कृष्ण के हाथों ही मिलेगा आपको निर्वाण
जो कहा उसपर गौर फरमाइएगा
तभी अगली बार अपनी कैंची सी जबान चलाईएगा
या अपनी निकृष्ट सोच सोशल मीडिया पर उगलिएगा
नहीं तो फिर बस पछताइएगा और बस पछताइएगा
बेहतर है अपना समय और श्रम
शुभ और श्रेष्ठ कार्यों में लगाइएगा
और अपने जीवन को ही जन्नत बनाइएगा !!!!!!
एक व्यंग्य