नमस्कार मित्रों
मेरे बहुत अधिक मित्र नहीं है , कारण कि मुझे लगता है कि जैसे शिष्य बनाने के लिए उसकी पात्रता देखी जाती है वैसे ही मित्र बनाने के लिए भी !!!!! मुझे भीड़ नहीं चाहिए बस सच्चे और अच्छे इंसानों से बात करना पसंद फिर चाहे वो कम ही हों गिनती में !!!!! वैसे ये मेरे लिखने का विषय नहीं अाज , बस मैं ये कहना चाहती थी कि शायद कोई मेरे लिखे को पढ़े या नहीं , नहीं जानती , पर जैसे बादल जब बरसते हैं तो ये नहीं देखते कि कितने लोग तैयार हैं भीगने के लिए , ऐसे ही मेरे दिल में भी जो आता है लिख देती हूं।
तो चलते हैं अपने आज के मुख्य विषय पर !!! ईश्वर ने कितनी अद्भुत , कितनी सुन्दर दुनिया बनाई और हम उस खूबसूरती को उपेक्षित कर अपने अहम और लालच के पिंजरे में कैद हो रखे हैं , भगवान जी को धन्यवाद देने की बजाय एक लम्बी सूची फरमाइश की उन्हें सुनाते रहते हैं ।।।।
इस लॉकडाउन में मुझे ईश्वर की कृपा को जानने का अवसर मिला , हमारे घर में गुलाब का पौधा जिसने मुझे रोज़ बहुत सारे गुलाब दिए मेरी पूजा को पूर्ण करने के लिए , बेलपत्र का पेड़ जिसने मुझे शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए रोज़ अपने पत्ते दिए , आम का पेड़ जिसके पत्तों से मैंने बंदरवार बना घर को सजाया और पूजा की , मेरे मन को शांति और आध्यात्मिक यात्रा उस अनंत असीम शक्ति की ओर पहला कदम बढ़ाने में सहयोग दिया !!!!
घर से बाहर जाए बिना मुझे संपूर्णता का एहसास दिया !!!!!
प्रकृति और उसके अनुपम उपहार ही दुनिया का सबसे बड़ा खज़ाना है , ये मुझे समझ आया , ऐसे समय जब दुनिया एक अनदेखे संकट से गुज़र रही है लोग डरे हुए हैं , वेतन में कटौती हो चुकी है , भविष्य अनिश्चित है , पर फिर भी मेरे दिल में सुकून है क्यूंकि मुझे भी उस अनंत असीम शक्ति और उसके दिए खूबसूरत उपहारों का खज़ाने का एहसास हो गया !!!! पता नहीं कल क्या हो लेकिन जो मिला वो अतुलनीय है !!!!!!!!!

लास्ट लॉकडॉउन की स्मृतियां
मनीषा
नमस्कार मित्रों मेरे बहुत अधिक मित्र नहीं है , कारण कि मुझे लगता है कि जैसे शिष्य बनाने के लिए उसकी पात्रता देखी जाती है वैसे ही मित्र बनाने के लिए भी !!!!! मुझे भीड़ नहीं चाहिए बस सच्चे और अच्छे इंसानों से बात करना पसंद फिर चाहे वो कम ही हों गिनती में !!!!! वैसे ये मेरे लिखने का विषय नहीं अाज , बस मैं ये कहना चाहती थी कि शायद कोई मेरे लिखे को पढ़े या नहीं , नहीं जानती , पर जैसे बादल जब बरसते हैं तो ये नहीं देखते कि कितने लोग तैयार हैं भीगने के लिए , ऐसे ही मेरे दिल में भी जो आता है लिख देती हूं। तो चलते हैं अपने आज के मुख्य विषय पर !!! ईश्वर ने कितनी अद्भुत , कितनी सुन्दर दुनिया बनाई और हम उस खूबसूरती को उपेक्षित कर अपने अहम और लालच के पिंजरे में कैद हो रखे हैं , भगवान जी को धन्यवाद देने की बजाय एक लम्बी सूची फरमाइश की उन्हें सुनाते रहते हैं ।।।। इस लॉकडाउन में मुझे ईश्वर की कृपा को जानने का अवसर मिला , हमारे घर में गुलाब का पौधा जिसने मुझे रोज़ बहुत सारे गुलाब दिए मेरी पूजा को पूर्ण करने के लिए , बेलपत्र का पेड़ जिसने मुझे शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए रोज़ अपने पत्ते दिए , आम का पेड़ जिसके पत्तों से मैंने बंदरवार बना घर को सजाया और पूजा की , मेरे मन को शांति और आध्यात्मिक यात्रा उस अनंत असीम शक्ति की ओर पहला कदम बढ़ाने में सहयोग दिया !!!! घर से बाहर जाए बिना मुझे संपूर्णता का एहसास दिया !!!!! प्रकृति और उसके अनुपम उपहार ही दुनिया का सबसे बड़ा खज़ाना है , ये मुझे समझ आया , ऐसे समय जब दुनिया एक अनदेखे संकट से गुज़र रही है लोग डरे हुए हैं , वेतन में कटौती हो चुकी है , भविष्य अनिश्चित है , पर फिर भी मेरे दिल में सुकून है क्यूंकि मुझे भी उस अनंत असीम शक्ति और उसके दिए खूबसूरत उपहारों का खज़ाने का एहसास हो गया !!!! पता नहीं कल क्या हो लेकिन जो मिला वो अतुलनीय है !!!!!!!!! लास्ट लॉकडॉउन की स्मृतियां मनीषा
Like
1
0 Comments 0 Shares 244 Views 0 Reviews