शक्ति
शक्ति का रूप अनंत
ना कोई आदि न कोई अंत
शक्ति की कर मन मंदिर में प्रतिष्ठा
कर पूजा छोड़ सब चिंता
बिगड़े सारे काज बनेंगे
देंगी वर शत्रुहंता
कर में खप्पर खड़ग साजे
माता मेरे हृदय विराजे
जीवन जब जब बने विकट
शक्ति हर लें सारे संकट
मां के चरणों में शीश झुका कर
पाया सौभाग्य मां से वर पाकर
शिवशंकर के हृदय में जो विराजे
ऐसी शक्ति का मर्म कौन पावे
माता मेरी लाज रखना
अपनी बेटी से कभी मुंह न फेरना
एक तेरी कृपा के सहारे
सारे रण में मुझसे हारे
तेरी महिमा अपरम्पार
कर दीजियो भव सागर से पार
हे शक्ति स्वरूपा जगदम्बा
बस तेरा ही मुझे अवलंबा !!!!!
मनीषा
स्वरचित मौलिक रचना
मेरठ
जय माता रानी ??
महानवमी की अनंत शुभकानाएं !
शक्ति का रूप अनंत
ना कोई आदि न कोई अंत
शक्ति की कर मन मंदिर में प्रतिष्ठा
कर पूजा छोड़ सब चिंता
बिगड़े सारे काज बनेंगे
देंगी वर शत्रुहंता
कर में खप्पर खड़ग साजे
माता मेरे हृदय विराजे
जीवन जब जब बने विकट
शक्ति हर लें सारे संकट
मां के चरणों में शीश झुका कर
पाया सौभाग्य मां से वर पाकर
शिवशंकर के हृदय में जो विराजे
ऐसी शक्ति का मर्म कौन पावे
माता मेरी लाज रखना
अपनी बेटी से कभी मुंह न फेरना
एक तेरी कृपा के सहारे
सारे रण में मुझसे हारे
तेरी महिमा अपरम्पार
कर दीजियो भव सागर से पार
हे शक्ति स्वरूपा जगदम्बा
बस तेरा ही मुझे अवलंबा !!!!!
मनीषा
स्वरचित मौलिक रचना
मेरठ
जय माता रानी ??
महानवमी की अनंत शुभकानाएं !
शक्ति
शक्ति का रूप अनंत
ना कोई आदि न कोई अंत
शक्ति की कर मन मंदिर में प्रतिष्ठा
कर पूजा छोड़ सब चिंता
बिगड़े सारे काज बनेंगे
देंगी वर शत्रुहंता
कर में खप्पर खड़ग साजे
माता मेरे हृदय विराजे
जीवन जब जब बने विकट
शक्ति हर लें सारे संकट
मां के चरणों में शीश झुका कर
पाया सौभाग्य मां से वर पाकर
शिवशंकर के हृदय में जो विराजे
ऐसी शक्ति का मर्म कौन पावे
माता मेरी लाज रखना
अपनी बेटी से कभी मुंह न फेरना
एक तेरी कृपा के सहारे
सारे रण में मुझसे हारे
तेरी महिमा अपरम्पार
कर दीजियो भव सागर से पार
हे शक्ति स्वरूपा जगदम्बा
बस तेरा ही मुझे अवलंबा !!!!!
मनीषा
स्वरचित मौलिक रचना
मेरठ
जय माता रानी ??
महानवमी की अनंत शुभकानाएं !
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