विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष आश्विन मास की कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की जयंती पड़ रही है। श्राद्ध पक्ष के दौरान विश्वकर्मा पूजा की तिथि पड़ती है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है और उन्हें देवशिल्पी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना का विचार कर रहे थे तब उन्होंने विश्वकर्मा जी को याद किया था।

भगवान विश्वकर्मा ने ही धरती समेत इस पूरी सृष्टि का निर्माण किया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी इंद्रप्रस्थ, द्वारिका और लंका जैसे नगरों के निर्माता भी हैं। उन्होंने देवताओं के अस्त्र-शस्त्र का भी निर्माण किया है। इस लिए विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। यहां जानें वर्ष 2022 में विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा मुहूर्त, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा, उपाय, आरती व मंत्र।
विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। इस वर्ष आश्विन मास की कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की जयंती पड़ रही है। श्राद्ध पक्ष के दौरान विश्वकर्मा पूजा की तिथि पड़ती है। भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है और उन्हें देवशिल्पी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना का विचार कर रहे थे तब उन्होंने विश्वकर्मा जी को याद किया था। भगवान विश्वकर्मा ने ही धरती समेत इस पूरी सृष्टि का निर्माण किया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा जी इंद्रप्रस्थ, द्वारिका और लंका जैसे नगरों के निर्माता भी हैं। उन्होंने देवताओं के अस्त्र-शस्त्र का भी निर्माण किया है। इस लिए विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। यहां जानें वर्ष 2022 में विश्वकर्मा पूजा की तिथि, पूजा मुहूर्त, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, कथा, उपाय, आरती व मंत्र।
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