आज अगर अंधेरे हैं
कभी तो उजाले थे
बेरंग पलों में
स्वयं रंग भरना आना ही चाहिए
दुखों की छाया को
हौंसले के सूरज से हटाना चाहिए
क्यों करे किसी सहारे की दरकार
अपने किरदार को ही बुलंद बनाना चाहिए
ज़िन्दगी के रण में स्वयं ही रथी और सारथी होना चाहिए
हार और जीत तो वक़्त ही बताएगा
हौंसले की टंकार से आसमां गूंजित होना चाहिए !!!!!

मनीषा
आज अगर अंधेरे हैं कभी तो उजाले थे बेरंग पलों में स्वयं रंग भरना आना ही चाहिए दुखों की छाया को हौंसले के सूरज से हटाना चाहिए क्यों करे किसी सहारे की दरकार अपने किरदार को ही बुलंद बनाना चाहिए ज़िन्दगी के रण में स्वयं ही रथी और सारथी होना चाहिए हार और जीत तो वक़्त ही बताएगा हौंसले की टंकार से आसमां गूंजित होना चाहिए !!!!! मनीषा
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