परछाइयों से रिश्ते
ज़िंदगी में आते
दो पल में जैसे
कई सदियां जी जाते ।
मृग तृष्णा सी ज़िंदगी
ठहरी है बस संजीदगी ।
तन्हा तन्हा लम्हे हैं
उलझी उलझी राहें हैं
खोयी खोयी मंज़िल हैं ल
सूनी सूनी आंखें हैं ।
ज़िंदगी का ताना बाना
ना खोना कुछ ना पाना
बस यूं ही चलते जाना !!!!!

Instant
Manisha
परछाइयों से रिश्ते ज़िंदगी में आते दो पल में जैसे कई सदियां जी जाते । मृग तृष्णा सी ज़िंदगी ठहरी है बस संजीदगी । तन्हा तन्हा लम्हे हैं उलझी उलझी राहें हैं खोयी खोयी मंज़िल हैं ल सूनी सूनी आंखें हैं । ज़िंदगी का ताना बाना ना खोना कुछ ना पाना बस यूं ही चलते जाना !!!!! Instant Manisha
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