किस मामले में अतीक अहमद को लाया गया प्रयागराज
दरअसल, राजू पाल हत्याकांड में गवाह बनने के बाद उमेश पाल के ऊपर खतरा मंडराने लगा था। अतीक ने कई लोगों से कहलवाया कि वह केस से हट जाए नहीं तो उन्हें दुनिया से हटा दिया जाएगा। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में ले जाकर अतीक ने रात भर पीटा था और उससे हलफ़नामा पर दस्तख़त भी करवा लिए थे। तो सवाल ये कि फिर उमेश पाल के साथ आगे क्या हुआ ?
ये भी पढ़िए –मणिकंदन अयप्पन ने मृत्यु के बाद भी 4 लोगों को दी नई जिंदगी।
24 फरवरी हुई उमेश की हत्या
जबरन लिखाए गए हलफ़नामें और धमकियों के दबाव में उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि वो समय बदलने का इंतजार कर रहे थे। जब 2007 में मायावती सरकार बनी तो उमेश ने अपने अपहरण का मुक़दमा दर्ज कराया। इसी मुकदमे में पैरवी कर 24 फरवरी को उमेश घर लौट रहे थे, तभी उनकी हत्या कर दी गई। अब अदालत ने इस मामले में फैसले की तारीख़ 28 मार्च मुकर्रर की है।अब चलते हैं इस घटना के शुरूआती छोर पर यानी कि राजू पाल की हत्याकांड पर.
दरअसल, राजू पाल हत्याकांड में गवाह बनने के बाद उमेश पाल के ऊपर खतरा मंडराने लगा था। अतीक ने कई लोगों से कहलवाया कि वह केस से हट जाए नहीं तो उन्हें दुनिया से हटा दिया जाएगा। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में ले जाकर अतीक ने रात भर पीटा था और उससे हलफ़नामा पर दस्तख़त भी करवा लिए थे। तो सवाल ये कि फिर उमेश पाल के साथ आगे क्या हुआ ?
ये भी पढ़िए –मणिकंदन अयप्पन ने मृत्यु के बाद भी 4 लोगों को दी नई जिंदगी।
24 फरवरी हुई उमेश की हत्या
जबरन लिखाए गए हलफ़नामें और धमकियों के दबाव में उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि वो समय बदलने का इंतजार कर रहे थे। जब 2007 में मायावती सरकार बनी तो उमेश ने अपने अपहरण का मुक़दमा दर्ज कराया। इसी मुकदमे में पैरवी कर 24 फरवरी को उमेश घर लौट रहे थे, तभी उनकी हत्या कर दी गई। अब अदालत ने इस मामले में फैसले की तारीख़ 28 मार्च मुकर्रर की है।अब चलते हैं इस घटना के शुरूआती छोर पर यानी कि राजू पाल की हत्याकांड पर.
किस मामले में अतीक अहमद को लाया गया प्रयागराज
दरअसल, राजू पाल हत्याकांड में गवाह बनने के बाद उमेश पाल के ऊपर खतरा मंडराने लगा था। अतीक ने कई लोगों से कहलवाया कि वह केस से हट जाए नहीं तो उन्हें दुनिया से हटा दिया जाएगा। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में ले जाकर अतीक ने रात भर पीटा था और उससे हलफ़नामा पर दस्तख़त भी करवा लिए थे। तो सवाल ये कि फिर उमेश पाल के साथ आगे क्या हुआ ?
ये भी पढ़िए –मणिकंदन अयप्पन ने मृत्यु के बाद भी 4 लोगों को दी नई जिंदगी।
24 फरवरी हुई उमेश की हत्या
जबरन लिखाए गए हलफ़नामें और धमकियों के दबाव में उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि वो समय बदलने का इंतजार कर रहे थे। जब 2007 में मायावती सरकार बनी तो उमेश ने अपने अपहरण का मुक़दमा दर्ज कराया। इसी मुकदमे में पैरवी कर 24 फरवरी को उमेश घर लौट रहे थे, तभी उनकी हत्या कर दी गई। अब अदालत ने इस मामले में फैसले की तारीख़ 28 मार्च मुकर्रर की है।अब चलते हैं इस घटना के शुरूआती छोर पर यानी कि राजू पाल की हत्याकांड पर.