कल ये सवेरा फिर आएगा
सूरज भी आसमां से तुम्हें
अपनी उजली किरणों से नहलाएगा.....
और रातों को ये रूप बदलता चांद ......
अपनी स्निग्ध चांदनी से तुम्हें भिगोएगा....
ज़िंदगी के बदलते मौसम....
दुनिया के बदलते चेहरे .....
शायद.... हम फिर साथ ना हो......
शायद ...... फिर हमारी बात ना हो…....
शायद.... बरसात में सूरज का साथ ना हो ....
शायद ..... तूफानी रातों.... और अमावस की रातों में चांद ना हो ....
लेकिन ..... ये रिश्ता .... जिसमें कोई आस नहीं .... बस विश्वास है....जिसमें चाहे कुछ खास नहीं .... पर सांस है.....
जिसका कोई अंत नहीं .... अनंत है ....
तूफानी रातों में भी ..... होगी सौम्यता उन मीठे पलों की यादों की......
अमावस की रातों में भी..... होगी रोशनी .... तेरे सुरों के नूर की....
बरसात की बूंदों में भी होगी धुन ....
मेरी हंसी की झंकार की.....
बदलते युगों में भी .....बंधी होगी इस खामोश दिव्य रिश्ते की डोर भी......
वक़्त के बदलते रंगों संग ..... सब कुछ बदलेगा .....
पर मेरी यादों का कारवां....
हमेशा तेरे साथ चलेगा........
बस यूं ही....
मनीषा
सूरज भी आसमां से तुम्हें
अपनी उजली किरणों से नहलाएगा.....
और रातों को ये रूप बदलता चांद ......
अपनी स्निग्ध चांदनी से तुम्हें भिगोएगा....
ज़िंदगी के बदलते मौसम....
दुनिया के बदलते चेहरे .....
शायद.... हम फिर साथ ना हो......
शायद ...... फिर हमारी बात ना हो…....
शायद.... बरसात में सूरज का साथ ना हो ....
शायद ..... तूफानी रातों.... और अमावस की रातों में चांद ना हो ....
लेकिन ..... ये रिश्ता .... जिसमें कोई आस नहीं .... बस विश्वास है....जिसमें चाहे कुछ खास नहीं .... पर सांस है.....
जिसका कोई अंत नहीं .... अनंत है ....
तूफानी रातों में भी ..... होगी सौम्यता उन मीठे पलों की यादों की......
अमावस की रातों में भी..... होगी रोशनी .... तेरे सुरों के नूर की....
बरसात की बूंदों में भी होगी धुन ....
मेरी हंसी की झंकार की.....
बदलते युगों में भी .....बंधी होगी इस खामोश दिव्य रिश्ते की डोर भी......
वक़्त के बदलते रंगों संग ..... सब कुछ बदलेगा .....
पर मेरी यादों का कारवां....
हमेशा तेरे साथ चलेगा........
बस यूं ही....
मनीषा
कल ये सवेरा फिर आएगा
सूरज भी आसमां से तुम्हें
अपनी उजली किरणों से नहलाएगा.....
और रातों को ये रूप बदलता चांद ......
अपनी स्निग्ध चांदनी से तुम्हें भिगोएगा....
ज़िंदगी के बदलते मौसम....
दुनिया के बदलते चेहरे .....
शायद.... हम फिर साथ ना हो......
शायद ...... फिर हमारी बात ना हो…....
शायद.... बरसात में सूरज का साथ ना हो ....
शायद ..... तूफानी रातों.... और अमावस की रातों में चांद ना हो ....
लेकिन ..... ये रिश्ता .... जिसमें कोई आस नहीं .... बस विश्वास है....जिसमें चाहे कुछ खास नहीं .... पर सांस है.....
जिसका कोई अंत नहीं .... अनंत है ....
तूफानी रातों में भी ..... होगी सौम्यता उन मीठे पलों की यादों की......
अमावस की रातों में भी..... होगी रोशनी .... तेरे सुरों के नूर की....
बरसात की बूंदों में भी होगी धुन ....
मेरी हंसी की झंकार की.....
बदलते युगों में भी .....बंधी होगी इस खामोश दिव्य रिश्ते की डोर भी......
वक़्त के बदलते रंगों संग ..... सब कुछ बदलेगा .....
पर मेरी यादों का कारवां....
हमेशा तेरे साथ चलेगा........
बस यूं ही....
मनीषा