मुम्मियों की दुनिया में स्वागत है! हम सब जानते हैं कि उनकी मृत्यु हुई बहुत साल पहले, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनके अंगूठे भी इतने अच्छे संरक्षित होंगे? जो मिस्र के मुम्मियों की मृत्यु हुई 3,000 साल पहले, उनके अंगूठे अभी भी बरकरार हैं।
यह तो बिलकुल वाहियात है! शायद हम उन्हें सिर्फ ज़िंदा समझ कर उन्हें रोज़ दो पैसे देते थे, जिससे उन्हें जीवन का अहसास हमेशा रहता था। इस सच्चाई से पता चलता है कि अंगूठों की बरकरारी और विशिष्टताएं कितनी दुर्दम हैं। मुम्मी जी को सलाम!
यह तो बिलकुल वाहियात है! शायद हम उन्हें सिर्फ ज़िंदा समझ कर उन्हें रोज़ दो पैसे देते थे, जिससे उन्हें जीवन का अहसास हमेशा रहता था। इस सच्चाई से पता चलता है कि अंगूठों की बरकरारी और विशिष्टताएं कितनी दुर्दम हैं। मुम्मी जी को सलाम!
मुम्मियों की दुनिया में स्वागत है! हम सब जानते हैं कि उनकी मृत्यु हुई बहुत साल पहले, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि उनके अंगूठे भी इतने अच्छे संरक्षित होंगे? जो मिस्र के मुम्मियों की मृत्यु हुई 3,000 साल पहले, उनके अंगूठे अभी भी बरकरार हैं।
यह तो बिलकुल वाहियात है! शायद हम उन्हें सिर्फ ज़िंदा समझ कर उन्हें रोज़ दो पैसे देते थे, जिससे उन्हें जीवन का अहसास हमेशा रहता था। इस सच्चाई से पता चलता है कि अंगूठों की बरकरारी और विशिष्टताएं कितनी दुर्दम हैं। मुम्मी जी को सलाम!
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