भगवान शिव की पूजा मुख्य रूप से शिवलिंग के रूप में क्यों की जाती है?
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भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो भगवान शिव को दर्शाता है। शिवलिंग को देवता के शरीर का प्रतीक माना जाता है जो अनन्त और अमर होता है।
शिवलिंग पूजा एक द्रविड़ प्रथा थी जो योनिलिंगम की रचनात्मक ऊर्जा का उत्सव मनाती थी। बाद में यह प्रथा पूरे देश में फैल गई, काशी में बनाया जा रहा सबसे पवित्र मंदिर।
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शिवलिंग का आकार त्रिशूल की अनुभूति को दर्शाता है जो भगवान शिव के हाथ में होता है। इसके अलावा, शिवलिंग की पूजा में पानी, धूप, दीप, फल आदि का उपयोग किया जाता है जो इसे एक पूर्ण पूजा अभिषेक के रूप में बनाता है।
शिवलिंग को अधिक सम्मानित बनाने के लिए, जब भी शिवलिंग की पूजा की जाती है, वह सभी शांत एवं स्पष्ट होते हुए की जाती है, क्योंकि शिवलिंग भगवान शिव की वास स्थली मानी जाती है।
शिवलिंग भगवान शिव की मुख्य पूजा स्थल के रूप में स्वीकार किया जाता है, क्योंकि इसका अर्थ भगवान शिव के प्रत्यक्ष रूप के साथ साथ उनकी अव्यक्त रूप को भी दर्शाता है।
शिवलिंग का आकार एक वृत्ताकार उभयलिंग होता है, जो पुरुष तथा स्त्री दोनों रूपों को दर्शाता है। इसके अलावा, शिवलिंग में तेज का प्रतीक होता है, जो शिव के ज्ञान तथा तप के प्रतीक होते हैं।
भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा उनके ज्ञान, तप, ध्यान, तथा साधना को अभिव्यक्त करती है। इसके अलावा, शिवलिंग का आकार सरल तथा सुलभ होता है, जिससे भक्त आसानी से पूजा कर सकते हैं।
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भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो भगवान शिव को दर्शाता है। शिवलिंग को देवता के शरीर का प्रतीक माना जाता है जो अनन्त और अमर होता है।
शिवलिंग पूजा एक द्रविड़ प्रथा थी जो योनिलिंगम की रचनात्मक ऊर्जा का उत्सव मनाती थी। बाद में यह प्रथा पूरे देश में फैल गई, काशी में बनाया जा रहा सबसे पवित्र मंदिर।
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शिवलिंग का आकार त्रिशूल की अनुभूति को दर्शाता है जो भगवान शिव के हाथ में होता है। इसके अलावा, शिवलिंग की पूजा में पानी, धूप, दीप, फल आदि का उपयोग किया जाता है जो इसे एक पूर्ण पूजा अभिषेक के रूप में बनाता है।
शिवलिंग को अधिक सम्मानित बनाने के लिए, जब भी शिवलिंग की पूजा की जाती है, वह सभी शांत एवं स्पष्ट होते हुए की जाती है, क्योंकि शिवलिंग भगवान शिव की वास स्थली मानी जाती है।
शिवलिंग भगवान शिव की मुख्य पूजा स्थल के रूप में स्वीकार किया जाता है, क्योंकि इसका अर्थ भगवान शिव के प्रत्यक्ष रूप के साथ साथ उनकी अव्यक्त रूप को भी दर्शाता है।
शिवलिंग का आकार एक वृत्ताकार उभयलिंग होता है, जो पुरुष तथा स्त्री दोनों रूपों को दर्शाता है। इसके अलावा, शिवलिंग में तेज का प्रतीक होता है, जो शिव के ज्ञान तथा तप के प्रतीक होते हैं।
भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा उनके ज्ञान, तप, ध्यान, तथा साधना को अभिव्यक्त करती है। इसके अलावा, शिवलिंग का आकार सरल तथा सुलभ होता है, जिससे भक्त आसानी से पूजा कर सकते हैं।
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भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण प्रतीक है जो भगवान शिव को दर्शाता है। शिवलिंग को देवता के शरीर का प्रतीक माना जाता है जो अनन्त और अमर होता है।
शिवलिंग पूजा एक द्रविड़ प्रथा थी जो योनिलिंगम की रचनात्मक ऊर्जा का उत्सव मनाती थी। बाद में यह प्रथा पूरे देश में फैल गई, काशी में बनाया जा रहा सबसे पवित्र मंदिर।
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शिवलिंग को अधिक सम्मानित बनाने के लिए, जब भी शिवलिंग की पूजा की जाती है, वह सभी शांत एवं स्पष्ट होते हुए की जाती है, क्योंकि शिवलिंग भगवान शिव की वास स्थली मानी जाती है।
शिवलिंग भगवान शिव की मुख्य पूजा स्थल के रूप में स्वीकार किया जाता है, क्योंकि इसका अर्थ भगवान शिव के प्रत्यक्ष रूप के साथ साथ उनकी अव्यक्त रूप को भी दर्शाता है।
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भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा उनके ज्ञान, तप, ध्यान, तथा साधना को अभिव्यक्त करती है। इसके अलावा, शिवलिंग का आकार सरल तथा सुलभ होता है, जिससे भक्त आसानी से पूजा कर सकते हैं।
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