मन तो रीता रह गया
वसंत यूं ही बीत गया
आकाश के शून्य में
जैसे जीवन शून्य मिल गया
दुनिया के इस रेले में
दिल तो अकेला रह गया
जीवन एक पहेली है
बस तन्हाई ही सहेली है
रीते मन से बीते दिन
वसंत तो जैसे क्षितिज
में गुम गया
दिल तो तन्हा रह गया !!!!!

मनीषा
स्वरचित
मन तो रीता रह गया वसंत यूं ही बीत गया आकाश के शून्य में जैसे जीवन शून्य मिल गया दुनिया के इस रेले में दिल तो अकेला रह गया जीवन एक पहेली है बस तन्हाई ही सहेली है रीते मन से बीते दिन वसंत तो जैसे क्षितिज में गुम गया दिल तो तन्हा रह गया !!!!! मनीषा स्वरचित
0 Comments 0 Shares 976 Views 0 Reviews