गई जान वो भी फ्री में. ट्रेन में अगर आप आराम से खिड़की वाले सीट पे बैठ कर, गाना सुनते हुए कहीं अपनी मस्ती में जा रहे हैं तो आपकी मौत भी हो सकती है.
यूपी के अलीगढ़ में शुक्रवार को डाबर-सोमना के बीच ट्रेन में बैठे युवक के शरीर में उछल कर आया सब्बल धंस गया. इससे उस व्यक्ति की मौत हो गई. इससे उसकी मौत हो गई. मौत आनी है कभी भी आ सकती है, चलते ट्रेन में भी आ सकती है अब तो. इस घटना में रेलवे की लापरवाही साफ़-साफ़ दिखती है. इसके बावजूद रेलवे ने मृतक के पिता को मात्र 15 हजार रुपए का मुआवजा दिया. जान की कीमत सिर्फ 15000, इससे अच्छा तो ये होता की मृतक के परिवार को रेलवे Parle G का पैकेट पकड़ा देती. आम आदमी इतना ज़्यादा आम हो चूका है कि उसकी जान की कीमत आम की 3 पेटियों के बराबर हो गई है.
मृतक हरिकेश के पिता संतराम का कहना है, 'रेलवे प्रशासन की लापरवाही के कारण मेरे बेटे की जान गई है. अब रेलवे मुझे 15 हजार रुपए का मुआवजा देकर मेरे बेटे की मौत का मजाक उड़ा रहा है. इसके बाद रेलवे अधिकारी ने उनके बात को घुमा के मृतक के पिता को भी घुमा दिया.
रेलवे के इस हरकत पे एक ज़ोरदार फटकार की ज़रूरत है. ऐसी हरकत तो कोई गाजर मूली के साथ भी न करे. एनसीआर प्रयागराज के CPRO हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है. मृतक के पिता ने सरकारी नौकरी की मांग की है. बने रहिए भौकाल के साथ.