धरती का बोझ हम बढ़ाएंगे और हर दिन नया बच्चा लाएंगे. दुनिया में 800 करोड़वें बच्चे ने जन्म ले लिया है.
इंसानों की फैक्ट्री थमने का नाम नहीं ले रही. फैक्ट्री में काम तो ऐसे चल रहा है की मानो ठेका मिला हो. दो बच्चे मीठी खीर उससे ज़्यादा बवासीर. लेकिन अब इनको कौन समझाए. जब तक इनके फैक्ट्री में दम है तब तक उत्पादन का काम चलता रहेगा. डर तो इस बात का है कि अब पूरी दुनिया में पकडुआ नसबंदी चालू न हो जाए. आबादी बढ़ानी है इनलोगों को सिर्फ लंठई पे उतर के. सामान उपलब्ध है बाज़ार में लेकिन प्रयोग ही नहीं करेंगे तो फिर यही होगा न.
आज भी लोग कंडोम खरीदने से शरमाते है, भाई कमरे के पीछे क्या है सब जानते हैं क्यों कि उसी से पूरी दुनिया बनी है फिर शरमाने की क्या बात है. 0 से 100 करोड़ आबादी होने में पुरे 1800 साल लग गए और 100 करोड़ से 800 करोड़ होने में सिर्फ 218 साल लगे. इसी को कहते हैं बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से तरक्की करना. अगर इंसानो ने अपनी रफ़्तार नहीं कम की तो सड़क पे चलने के लिए भी भविष्य में सोचना पड़ेगा क्यूँ कि  कीड़े मकोड़े की तरह इंसान पसरे हुए दिखेंगे सड़क पे.
आबादी कम करो और फैक्ट्री को आराम दो और बने रहो भौकाल के साथ.