दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ अब हमारे बीच नहीं रही । 70 साल से यह मगरमच्छ कासरगोड जिले के श्रीअनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर की झील में रह रहा था। यह अनंतपुरा झील में रहा करता था और वहां रह कर मंदिर की रखवाली करता था । पुजारियों ने हिंदू रीति-रिवाज से मगरमच्छ की अंतिम यात्रा निकाली और परिसर के पास ही उसे दफना दिया। मगरमछ पर बहुत सारे मुहावरे हैं , मगरमछ के आंसू आदि और मगरमछ की छवि काफी ख़राब है लेकिन मगरमछ अगर अच्छा हो तो उसको भी इज़्ज़त मिलती है और ये उदाहरण काफी है इंसानो के लिए। आप का रूप आपकी इज़्ज़त नहीं बनाता आपका बर्ताव बनाता है।
इस दुनिया में आज भी बहुत लोग हैं जो चुप रहते हैं तोह बड़े अचे लगते हैं और जहाँ मुँह खोला वहीँ गलीच बन जाते हैं। इसीलिए स्वाभाव अच्छा रखें दुनिया आपको प्यार और सम्मान दोनों ही देगी। बने रहिए भोकाल के साथ।
दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ अब हमारे बीच नहीं रही । 70 साल से यह मगरमच्छ कासरगोड जिले के श्रीअनंतपद्मनाभस्वामी मंदिर की झील में रह रहा था। यह अनंतपुरा झील में रहा करता था और वहां रह कर मंदिर की रखवाली करता था । पुजारियों ने हिंदू रीति-रिवाज से मगरमच्छ की अंतिम यात्रा निकाली और परिसर के पास ही उसे दफना दिया। मगरमछ पर बहुत सारे मुहावरे हैं , मगरमछ के आंसू आदि और मगरमछ की छवि काफी ख़राब है लेकिन मगरमछ अगर अच्छा हो तो उसको भी इज़्ज़त मिलती है और ये उदाहरण काफी है इंसानो के लिए। आप का रूप आपकी इज़्ज़त नहीं बनाता आपका बर्ताव बनाता है। इस दुनिया में आज भी बहुत लोग हैं जो चुप रहते हैं तोह बड़े अचे लगते हैं और जहाँ मुँह खोला वहीँ गलीच बन जाते हैं। इसीलिए स्वाभाव अच्छा रखें दुनिया आपको प्यार और सम्मान दोनों ही देगी। बने रहिए भोकाल के साथ।
Like
1
·247 Views