ले बासुदेव चले गोकुल को होs... अपने सामने ही एक एक कर अपने सात पुत्रों की हत्या देख कर टूट चुका वह पिता अपनी गोद में आठवें नवजात पुत्र को लेकर बैठा था। अल्पायु में ही वृद्ध हो चुके वसुदेव ने दृष्टि ऊपर उठाई और गरजे! मेरी तपस्या की और परीक्षा न लो ईश्वर! यदि सचमुच तुम्हारा अस्तित्व है, तो इस बच्चे को सुरक्षित गोकुल पहुँचाने की राह तुम्हे ही बनानी होगी। हे जगत पिता! इस पिता की और परीक्षा न लो... इस बच्चे की रक्षा करना मेरा...