"अबे ...ओय! बेशर्म .....। तुम्हें समझ नहीं आती क्या? अब मैं बड़ी हो गयी हूँ। मम्मी तुम लड़कों के साथ खेलने से मना करती है"। गेट खोलते ही झाड़ू से झांटते हुए गौरी बोले जा रही थी।
रुद्र जो इसी मोहल्ले के बैंक मैनेजर माथुर साहब का लड़का है। वह अपनी बहन की शादी का कार्ड देने आया था। अचानक से हुए इस हमले को वह समझ नहीं पाया और झाड़ू की झाड़ खाते हुए अपने पैरों को हाथों से सहलाने लगा। जिस तरह से गौरी उसे झाड़ू मार रही थी उससे बचने की हड़बड़ी में रुद्र के हाथों से शादी का कार्ड छूट कर जमीन पर गिर गया। जिसे देखते ही गौरी का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और वह तिलमिलाते हुए बोली अच्छा! तो मम्मी सही कहती थी। आजकल के छौकड़े पेट से निकलता नहीं कि जवानी का पानी बलबलाने लगता है। देखो तो बेहया को ग्रीटिंग कार्ड लेकर पहुँच गया। पर, मैं भी आज तेरी जवानी की कहानी ख़त्म करके ही छोड़ूँगी बच्चू।
"कौन है गौरी"? - घर के अंदर से गौरी की दीदी की आवाज़ आयी।
#मोहब्बत_होनी_है.....!- 1
रुद्र जो इसी मोहल्ले के बैंक मैनेजर माथुर साहब का लड़का है। वह अपनी बहन की शादी का कार्ड देने आया था। अचानक से हुए इस हमले को वह समझ नहीं पाया और झाड़ू की झाड़ खाते हुए अपने पैरों को हाथों से सहलाने लगा। जिस तरह से गौरी उसे झाड़ू मार रही थी उससे बचने की हड़बड़ी में रुद्र के हाथों से शादी का कार्ड छूट कर जमीन पर गिर गया। जिसे देखते ही गौरी का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और वह तिलमिलाते हुए बोली अच्छा! तो मम्मी सही कहती थी। आजकल के छौकड़े पेट से निकलता नहीं कि जवानी का पानी बलबलाने लगता है। देखो तो बेहया को ग्रीटिंग कार्ड लेकर पहुँच गया। पर, मैं भी आज तेरी जवानी की कहानी ख़त्म करके ही छोड़ूँगी बच्चू।
"कौन है गौरी"? - घर के अंदर से गौरी की दीदी की आवाज़ आयी।
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"अबे ...ओय! बेशर्म .....। तुम्हें समझ नहीं आती क्या? अब मैं बड़ी हो गयी हूँ। मम्मी तुम लड़कों के साथ खेलने से मना करती है"। गेट खोलते ही झाड़ू से झांटते हुए गौरी बोले जा रही थी।
रुद्र जो इसी मोहल्ले के बैंक मैनेजर माथुर साहब का लड़का है। वह अपनी बहन की शादी का कार्ड देने आया था। अचानक से हुए इस हमले को वह समझ नहीं पाया और झाड़ू की झाड़ खाते हुए अपने पैरों को हाथों से सहलाने लगा। जिस तरह से गौरी उसे झाड़ू मार रही थी उससे बचने की हड़बड़ी में रुद्र के हाथों से शादी का कार्ड छूट कर जमीन पर गिर गया। जिसे देखते ही गौरी का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया और वह तिलमिलाते हुए बोली अच्छा! तो मम्मी सही कहती थी। आजकल के छौकड़े पेट से निकलता नहीं कि जवानी का पानी बलबलाने लगता है। देखो तो बेहया को ग्रीटिंग कार्ड लेकर पहुँच गया। पर, मैं भी आज तेरी जवानी की कहानी ख़त्म करके ही छोड़ूँगी बच्चू।
"कौन है गौरी"? - घर के अंदर से गौरी की दीदी की आवाज़ आयी।
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