वीणा वादणी



हे! मात शारदे वर दे।
अंकन मध्य भाव भर दे॥
हर्षित चेतन विभु नभ पर।
आनंदित हृदय सुलभ कर॥

कँवलासित माँ वारिद मग।
सिंदूरी बदन विलय जग॥
स्वर्णिम प्रभात आभा भव।
वासंती संगनी प्रभा नव॥

पापी कलुषित को तर दे।
माँ! दीप ज्ञान का ज़र दे॥
मन विकल शून्य है माता।
कंपित हृदय नहीं भाता॥

माँ श्वेत वसन वैभव कृति।
विपुला आलौकिक नभ धृति॥
पीयूष प्रमादित शुभकर।
सुंदर मुख ज्ञान भयंकर॥

©-राजन-सिंह

वीणा वादणी हे! मात शारदे वर दे। अंकन मध्य भाव भर दे॥ हर्षित चेतन विभु नभ पर। आनंदित हृदय सुलभ कर॥ कँवलासित माँ वारिद मग। सिंदूरी बदन विलय जग॥ स्वर्णिम प्रभात आभा भव। वासंती संगनी प्रभा नव॥ पापी कलुषित को तर दे। माँ! दीप ज्ञान का ज़र दे॥ मन विकल शून्य है माता। कंपित हृदय नहीं भाता॥ माँ श्वेत वसन वैभव कृति। विपुला आलौकिक नभ धृति॥ पीयूष प्रमादित शुभकर। सुंदर मुख ज्ञान भयंकर॥ ©-राजन-सिंह
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