सबका साथ, सबके विकास का विचार लेकर चले थे दीनदयालजी
''हम विदेशी परिस्थिति एवं विदेशी चित्त में उत्पन्न विचारों का अध्ययन तो करें, किंतु स्वतंत्र भारत की विचारधारा का स्रोत तो भारतीय चित्त ही होना चाहिए।”
भारतीय समाज से यह...
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