यों के लिए मछली पकाओगे? गुजरात के लोग महंगाई को सहन करेंगे, लेकिन पड़ोस के बांग्लादेशियों और रोहिंग्या को नहीं. बस इसी बात के बाद इंटरनेट पे बैठे लोग ने परेश को अपने राडार में ले लिया.
पॉलिटिक्स का चक्कर बाबू भैय्या, पॉलिटिक्स का चक्कर. अच्छे-अच्छे को अपने दल-दल में खींच ही लेता है. बाबू भैय्या ये जनता अब हेरा-फेरी वाली नहीं वासेपुर वाली है. कह के ले लेगी. बने रहिए भौकाल के साथ.
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