8 वजहें जिसने ऋतिक रोशन  की अग्निपथ को हाल की सबसे  बेहतरीन बॉलीवुड मास एंटरटेनर बनाया

साल 2012 में आई ऋतिक रोशन स्टारर फिल्म अग्निपथ रीमेक की भीड़ में एक ताज़ी हवा के जैसी थी। एक मल्टी फ्लेवर्ड शुद्ध मसाला फिल्म होने के बावजूद भी यह कहानी की intensity को प्रभावित नहीं करती।
 ऋतिक रोशन (विजय दीनानाथ चौहान) संजय दत्त ( काँचा चीना) की  मुख्य भूमिका  जबकि प्रियंका चोपड़ा ( काली गवड़े) ऋषि कपूर ( रऊफ लाला ) की  सहायक भूमिकाओं वाली यह फिल्म एक शुद्ध बॉलीवुड Revenge ड्रामा है। कहानी में emotions भरपूर है लेकिन स्क्रीनप्ले emotions में उलझ कर कहीं भी derail होती नहीं दिखती।
आइये जानते हैं  वो  8 कारण जिसकी वजह से फिल्म इतनी बड़ी मास एंटरटेनर बन गयी।

ए वर्थ रीमेक 
आज जब इंडस्ट्री और दर्शक घटिया रीमेक, बे सिर पैर की कहानी और नौसिखिया एक्टिंग देख कर पक रहे हैं, भारत का सिनेमा बिज़नेस धीरे धीरे घाटे में जा रहा है ऐसे में अगर हम पीछे मूड कर देखें तो अग्निपथ जैसी फिल्में सुकून देती हैं। 1990 में आई  ऑरिजिनल फिल्म के फ्लॉप होने बावजूद भी इस बहुचर्चित फिल्म को रीमेक करना बहुत  ज़िम्मेदारी का काम था, ख़ास कर तब जब ऑरिजिनल फ़िल्म के नायक अमिताभ बच्चन रहे हों , जिनके पास की अपनी एक कल्ट फॉलोइंग है । लेकिन रिलीज़ के बाद फिल्म ने उम्मीद से बहुत ज्यादा बढ़िया बिज़नेस किया और खुद को बेहतरीन मास एंटरटेनर के रूप में स्थापित किया। 

भयानक विलन 
फिल्म के विलेन काँचा चीना के कैरेक्टर से आपको नफरत भी होगी, खून भी खौलेगा तो वहीं रूह भी कांपेगी। संजय दत्त ने इस कैरक्टर को क्या बेहतरीन निभाया है। काँचा धूर्त है, ताकतवर है और शातिर भी। काँचा के कैरक्टर पर धर्मा वालों और संजय दत्त ने काफी मेहनत की थी  और सारी मेहनत आपको स्क्रीन पर संजय दत्त के लूक से लेकर बॉडी लैड्ग्वेज और दमदार एक्टिंग में दिखेगी। रऊफ लाला के किरदार में ऋषि कपूर भी खौफनाक और घिनौने लगे हैं। कुल मिला कर फ़िल्म को विलेन बेहद दमदार मिले हैं। 

 बेहतरीन म्यूजिक 
यह फ़िल्म एक खूबसूरत गिफ्ट है हर एक सिनेमा और म्यूजिक लवर को। इस फ़िल्म में टोटल छह गाने हैं और खुबसूरत बात ये है की हाल की फिल्मों की तरह इस में  रीमेक के नाम पर आरिजिनल फ़िल्म के गानों को रिमिक्स कर नहीं चेपा गया है बल्कि सभी गाने नए हैं और आज दस साल बाद भी Chartbusters हैं। चिकनी चमेली....  से लेकर देवा श्री गणेशा... तक कोई भी गाना जबर्दस्ती ठूँसा हुआ नहीं लगता बल्कि फ़िल्म के प्लॉट के हिसाब से फिट बैठता है।   फ़िल्म का बैक्ग्राउण्ड म्यूजिक और foley भी बेहतरीन है और फ़िल्म को पूरा पूरा सपोर्ट करते हैं।


ट्रान्सजेंडर कम्यूनिटी का कहानी में एक्टिव पार्टीसिपेशन
हाल की कुछ फिल्मों को छोड़ दें तो बॉलीवुड फिल्में हमेशा से ट्रान्सजेंडर कम्यूनिटी को लेकर बहुत संवेदनशील नहीं रही है। ट्रान्सजेंडर कैरेक्टर और कम्यूनिटी को या तो मज़ाक के लिए दिखाया जाता रहा है या फिर सेक्स ऑब्सेस्ड लोगों की तरह ।  अग्निपथ ने इस पैटर्न को तोड़ा और ट्रान्सजेंडर कम्यूनिटी को Protagonist के परिवार की तरह दिखाया गया है और ये protagonist के कट्टर समर्थक भी हैं।

कहानी का लव एंगल
प्रियंका चोपड़ा के कैरेक्टर काली गवड़े को बस गानों और लव मेकिंग सीन के prop की तरह हीं नहीं रखा गया है बल्कि उनके किरदार की जरूरत महसूस होती है। विजय की love interest काली एक independent और fearless लड़की है जो विजय के emotional layers को बाहर निकलती है साथ हीं उसका सपोर्ट सिस्टम भी बनती है। काली का मर्डर विजय के बदले की लड़ाई में major catalyst का काम करती है। 

नॉट एव्री हीरो इज़ वर्शिप्ड
फिल्म के एक सीन में काँचा विजय से कहता है की वो उसे खुद की याद दिलाता है। ये आडियन्स के लिए इशारा है की अंत में विजय भी ठीक वैसा हीं बन जाएगा जिससे उसने हमेशा नफ़रत की है। फ़िल्म का एक टेक ये है की वो हीरो को लार्जर देन लाइफ नहीं दिखाती बल्कि एक आम इंसान हीं रखती है जिससे की मैक्सिमम आडियन्स कनेक्ट कर पाती है।

एक्शन सीन्स
हीरो को एक आम इंसान दिखाने की वजह से Action Sequence भी काफी रियल लेकिन बेहतरीन लगते हैं। किसी भी एक्शन में हीरो या दूसरे कैरेक्टर को हवा में उछलते, गाड़ी उड़ाते या ऊंची बिल्डिंग से कूदते नहीं दिखाया गया है बल्कि रेगुलर एक्शन सीक्वेंस हीं दिखाया गया है । कोई भी सीक्वेंस रिपीट नहीं होता और ओपेनिंग और क्लोसिंग एक्शन शॉट्स एक सर्कल पूरा करते हैं और कहानी को बेस्ट एंड देते हैं।

डायलॉग्स
फ़िल्म के लिए डायलॉग्स पीयूष मिश्रा ने लिखे हैं जो बहुत दमदार हैं और कैरेक्टेर्स और कहानी को और भी गहराई देते हैं। एक सीन में काँचा और विजय के conversation के डायलॉग्स इतने दमदार हैं की आप सीटी बजाए बिना रह नहीं पाएंगे। बाकी किरदारों के डायलॉग्स भी बेहतरीन लिखे गए हैं और main leads को टक्कर देते हैं।

कूल ज़मा ये है की फ़िल्म एकदम बेहतरीन है और मस्ट वॉच भी। मेरा सवाल है की ऐसी फिल्में अब और क्यों नहीं बनती ?!  
ख़ैर आपने अगर फ़िल्म ऑलरेडी देख ली है तो हमें बताइये की आपको हमारा ये डिटेल्ड रिव्यू कैसा लगा ? और हाँ  अगर किसी वजह से आप छुट गए हैं और फ़िल्म नहीं देखी है तो गुरु बहुत जबर चीज़ मिस कर रहे हो अभी देख लो जा के।